________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५१०
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[लकारादि
... मूलामयं चैव सशूलकुष्ठम् ।
सर्वामयं हन्ति न संशयोऽत्र ॥ हत्वाग्निमांद्यं क्षयसनिपातं
___ कामस्य वृद्धिं प्रकरोति सम्यश्वासं च कासं च हरेत्प्रयुक्तम् ।
नारी शतं गच्छति नित्यमेव । तारुण्यलक्ष्मीप्रतिबोधनाय
पण्ढोऽल्पवीर्यो बहुमूत्रमेही श्रीमद्विलापो रसराज एषः ॥
यथानुपानेन च सेवयेत सुवर्ण भस्म, चांदी भस्म, अभ्रक भस्म, ताम्र क्षयापह धातुविवद्धनं च भस्म, बंग भस्म, तीन प्रकारका लोह ( तीक्ष्ण लक्ष्मीविलासो रसराज एपः ॥ लोह भस्म, मुण्ड लोह भस्म, कान्त लोह भस्म ),
सुवर्ण भस्म, मोती भस्म, अभ्रक भस्म, सीसा भस्म, शुद्ध बछनाग और मोती भस्म १-१
पारद भस्म, लोह भस्म, प्रवाल भस्म, कस्तूरी, भाग तथा पारद भस्म सबके बराबर लेकर सबको
| केसर, जावत्री, लौंग, इलायची और दालचीनी एकत्र करके बारीक करें और फिर शहद मिला कर
| समान भाग लेकर सबको ३ दिन पानके रसमें खरल करें तथा २-३ दिन धूपमें सुखाकर उसका
घोटकर सुरक्षित रक्खें। गोला बनालें और उसे मूषामें बन्द करके कुक्कुट पुटमें पकावें । तदनन्तर उसके स्वांग शीतल होने
मात्रा- ३ रत्ती । इसे मिश्री और शहदके पर रसको निकाल कर आठ पहर चीतेके काथमें
| साथ सेवन करना चाहिये । घोट कर सुखा कर सुरक्षित रक्खें ।
इसके सेवनसे समस्त रोग नष्ट होते और इसके सेवनसे क्षय, त्रिदोषज पाण्डु, कामला,
| पुरुषल्व शक्ति इतनी बढ़ जाती है कि मनुष्य समस्त वातज रोग, शोथ, प्रतिश्याय, शुक्रक्षय,
नित्य प्रति सौ सौ स्त्रियों के साथ समागम कर अर्श, शूल, कुष्ट, अग्निमांद्य, सन्निपात, श्वास और खांसीका नाश तथा यौवनको विकास होता है। इसे नपुंसक, अल्पवीर्य और बहुमूत्र रोगीको (६३३६) लक्ष्मीविलासरसः (४)
यथोचित अनुपानके साथ सेवन कराना चाहिये । (र. चं. । वाजीकरणा.).
यह रस शयनाशक और धातुवर्द्धक है। सुवर्णमुक्ताफलमभ्रकञ्च
(६३३७) लक्ष्मीविलासरसः (4) रसेन्द्रभस्मायसविद्रुमं च ।
(र. का. धे. । ज्वरा.) कस्तूरिकाकुङ्कुम जातिपत्री- शुद्धसूतं समं गन्धं दिनं शुष्कं विमर्दयेत् । लवङ्ग एला त्वक् तुल्यभागिकम् ॥ जम्बीरनीरेण दिनं मर्दयेन्मतिमान्भिपक ॥
सम्मर्दयेत्ताम्बुलिकारसेन . निक्षिपेदृढमूषायां वासोभिर्मुनिसंज्ञकैः। घृष्ट्वा व्यहं वल्लमितं च दद्यात् । वेष्टयेत्सिकतायन्त्रे यामैदशभिः पचेत् ॥
सितामधुभ्यां सह सेवनीयः | स्वांगशीतं समुद्धृत्य श्लक्ष्णे खल्वे विमर्दयेत्।
सकता है।
For Private And Personal Use Only