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भारत - भैषज्य रत्नाकरः
(५६६३) मृद्विरेचनरसः
( र. च. । पाण्डु.; वृ. नि. र । बालरो. ) इन्दुलोचननेत्राणि शिखी भागं च योजयेत् । टिगन्धमुर्दाशतपुष्पाविचूर्णिताः ॥ माषद्वयं गवां दुग्वैः सेवयेद्दिनपञ्चकम् । रेचयेन्मृत्तिकां शुद्धां शिशूनां हितमौषधम् ॥
छोटी इलायची १ भाग, शुद्ध गन्धक २ भाग, शुद्ध मुरदासिंघ २ भाग और सोया ३ भाग लेकर सबको खरल करके रक्खें ।
इसे २ माशेकी मात्रानुसार गायके दूधके साथ ५ दिन तक सेवन करानेसे बच्चों की हुई मिट्टी विरेचन द्वारा निकल जाती है ।
खाई
(५६६४) मेघडम्बर रसः
(र. रा. सु. ; र. र. र. मं. ; र. का. धे. ; ५. चं. । हिक्का खास.; रसे. चि. म. । अ. तण्डुलीयद्रवे पिष्टं सूततुल्यं च गन्धकम् । वज्रमृषागतं चैव भूधरे भस्मतां नयेत् ॥ दशमूलकषायेण भावयेत्महरद्वयम् ।
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[ मकारादि
इसे निम्नलिखित अनुपान के साथ खिलाने से हिका, श्वास और ज्वर शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।
अनुपान - सोंठ (पाठान्तर के अनुसार हरे), पीपल, भरंगी, पोखरमूल और काकड़ासोंगी तथा कचूर १ - १ भाग तथा खांड ८ भाग लेकर सबको खरल करके चूर्ण बनावें ।
रसकी मात्रा - २ रत्ती ।
( अनुपानकी मात्रा - ३ - ४ माशे । ) नोट -- शहद के साथ मिला कर चाटना चाहिये ।
(५६६५) मेघनादरस: (१)
( भै. र. र. का. घे. । ज्वर.; रसे. चि. म. । अ. ९; रसे. सा. सं. : र. रा. सु. । ज्वर. ) तारं कांस्यं मृतं ताम्र त्रिभिस्तुल्यश्च गन्धकम् । Fater मेघनादस्य पिष्ट्वा रुवा पुढे पचेत् ॥ षभिः पुटैर्भवेत्सिद्धो मेघनादो ज्वरापहः । भक्षयेत्पर्णखण्डेन विषमज्वरनाशनम् ॥ अस्य मात्रैगुआ स्यात्पथ्यं दुग्वैौदनं हितम् ।
गुञ्जाद्वयं हरत्याशु हिक्कां श्वासं ज्वरं किल ॥ | नागरातिविषामुस्तभूनिम्बामृतवत्सकैः ॥ अनुपानेन दातव्यो रसोऽयं मेघडम्बरः । नागरं पिप्पलीं भार्गी पुष्करं कर्कटी सटी ॥ शर्कराष्टगुणं चूर्णमनुपाने प्रकल्पयेत् ॥
सर्वज्वरातिसारनं क्वाथमस्यानुपाययेत् । तरुणं वा ज्वरं जीर्ण तृष्णां दाहञ्च नाशयेत् ॥
चांदी भस्म, कांसी भस्म और ताम्र भस्म १- १ भाग तथा शुद्ध गन्धक ३ भाग लेकर
समान भाग शुद्ध पारद और गन्धककी कउजली बनाकर उसे कांटे वाली चौलाईके रस में घोटें और फिर वज्रमूषामें बन्द करके भूधरपुट में पकाकर भस्म करें। तदनन्तर उसे दशमूल के काथमें २ पहर घोटकर सुरक्षित रक्खें ।
१ अभया इति पाठान्तरम् ।
१ तालमिति पाठान्तरम् । ताल = हरताल १ आरं इति पाठान्तरम् । आर = पीतल १ अभ्रं इति पाठान्तरम्
२ कई ग्रन्थोंमें पुटोंकी संख्याका निर्देश
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