SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - भारत-भैपज्य-रत्नाकरः [ मकारादि चूर्ण सिताज्य गोक्षीरैः पलार्ध पाययेदनु। (५४६७) मकरध्वजो रसायनः कामिनीनां सहस्रैकं रममाणो न मुह्यति ॥ (भै. र. । रसायना.; र. रा. सु.। रसायन.; न. सेवनादृढकायः स्याद्रसोऽयं मकरध्वजः ॥ मृता. । त. ५) हीरकी भस्म १ भाग, स्वर्णभस्म २ भाग, | स्वर्णस्य भागौ वङ्गश्च मौक्तिकं कान्तलौहकम् । ताम्रभस्म ३ भाग, पारदभस्म ४ भाग, अभ्रक जातीकोषफले रूप्यं कांस्यकं रससिन्दूरम् ॥ भस्म ५ भाग और लोहभस्म ६ भाग लेकर सबको | प्रवालं कस्तूरी चन्द्रमभ्रकञ्चकभागिकम् । ३-३ दिन घृतकुमारी और सेंभलकी मूसलीके | स्वर्णसिन्दूरतो भागांश्चत्वारः कल्पयेद् बुधः। स्वरस में खरल करके आतशी शीशीमें भरकर यथा नातः परतरः श्रेष्ठः सर्वरोगनिमूदनः। विधि ३ दिन तक वालुका -यन्त्रमें पकवें।। सर्वलोकहितार्थाय शिवेन परिकीर्तितः ।। ___तदनन्तर शीशीमें से रसको निकालकर उसे ___स्वर्णभस्म २ भाग तथा बङ्गभस्म, मोतीभस्म, १-१ दिन क्रमशः मूसलीके काथ, थोहरके दूध कान्तलोह-भस्म, जावित्री और जायफलका चूर्ण, और आकके दूधमें घोटकर भूधरयन्त्र में एक पहर चांदी भस्म, कांसी भस्म, रससिन्दूर, प्रवाल (मूंगा) की अग्नि दें। भस्म, कस्तूरी, कपूर और अभ्रक भस्म १-१ भाग तत्पश्चात् उसे निकाल कर उसमें मिश्री, एवं स्वर्ण सिन्दूर ४ भाग लेकर सबको एकत्र पीपल, दालचीनी, इलायची और तेजपातका खरल करें। चूर्ण (समान भाग मिश्रित उपरोक्त सिद्ध (तैयार) | इसके समान सर्वरोगनाशक अन्य औषध एसके बराबर) मिलाकर अच्छी तरह खरल करें। नहीं है। __ अनुपान-पीपल, मूसली, मुलैठी और कौंचके (मात्रा-२ रत्ती) धीजोंका चूर्ण समान भाग लेकर एकत्र मिला (५४६८) मञ्जिष्ठादिचूर्णम् कर रक्खें। __ (वृ. नि. र. । अश्मरि.) सेवन विधि-उपरोक्त रसमें से १ माशा | खाकर उपरसे २।। तोले अनुपान-चूर्ण फांक कर | मञ्जिष्ठा त्रापुष बीजं जीरकः शतपुष्पिका । मिश्री और घृतयुक्त गोदुग्ध पियें। धात्रीफलं वदरकं। गन्धकं च मनःशिला ॥ एतेषां समभागानां चूर्ण टङ्कमितं नरः । इसके सेवनसे सहस्रों रमणियों के साथ काम भक्षयेन्मधुना सार्दै पतेत्तस्याश्मरी ध्रुवम् ॥ केलि करनेकी शक्ति प्राप्त होती है तथा दीर्घकाल तक सेवन करने से शरीर दृढ़ होता है। ___ मजीठ, खी रेके बीज, जीरा, सोया, आमला, (व्यवहारिक मात्रा-रस २ रत्ती । अनुपान सूखाबेर (पाठान्तरके अनुसार शुद्ध हिंगुल), शुद्ध चूर्ण.६ माशे।) १ धात्रीफलञ्च दरदमिति पाठान्तरम् । For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy