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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तैलप्रकरणम् चतुर्थों भागः जवाखार और तिन्तडीक का कल्क मिलाकर मन्दाग्नि (५३१९) मुस्तकादितैलम् पर पकायें। जब पानी जल जाए तो तेलको (व. से. । नेत्ररो.) छान लें। मुस्ता तेजोवती पाठा कट्फलं कटुका वचा। इसकी मालिशसे खल्ली ( हैजे इत्यादि में सर्वपा पिप्पलीमलं पिपली सैन्धवाग्निकौ ॥ होने वाली हाथ पैरोंकी ऐंठन ) तुरन्त शान्त हो तुत्थं करञ्जबीजश्च लवणं भद्रदारु च । जाती है। एतैः कृतं कषायञ्च कवले तच्च धारयेत् ॥ (मधुशुत ' बनानेकी विधि “ मकारादि हितं शिरोविकारे च तैलमे भिर्विपाचयेत् ।। आसवारिष्ट प्रकरण" में देखिये । ) नागरमोथा, मालकंगनी, पाठा, कायफल, मिश्रकस्नेहः कुटकी, बच, सरसो, पीपलामूल, पीपल, सेंधानमक, (यो. त. । तं. ४६; वृ. यो. त.; यो. र.) चीतामूल, नीलाथोथा, करञ्जबीज, सेंधा नमक और भा. भै. र. भाग ३ प्रयोग संख्या २४५९ देवदारु समान भाग लेकर, सबको अधकुटा करके " त्रिवृतादि मिश्रक स्नेह ” देखिये । ८ गुने पानी में पकावें । जब चौथा भाग शेष रह जाए तो छान लें। (५३१८) मुण्डीतैलम् इस क्वाथके कवल धारण करने अथवा इन्हीं (र. र. । स्त्री रोगा.) ओषधियोंसे सिद्ध तेल की मालिश करनेसे शिरोरोग मुण्डीमूलं दशपलं जले पच्याचतुर्गुणे । (प्रतिश्याय) नष्ट होता है। अर्द्धशेष हरेत्या काथा तिलतैलकम् ॥ क्वाथार्थ-प्रत्येक ओषधि ३२ तोले, जल तैलशेषं भवेत्तच नस्ये पाने च दापयेत् । । ४८ सेर, शेष १२ सेर । पतितं यौवनं स्त्रीणां मासादुत्तिष्ठते स्वयम् ॥ कल्कार्थ-प्रत्येक ओषधि २ तोले । ५० तोले मुण्डीकी जड़को कूट कर ४०० तेल-३ सेर तोले ( ५ सेर ) पानीमें पकावें । जब २॥ सेर (५३२०) मूलकाद्यं तैलम् (१) पानी शेष रह जाए तो छान लें। ( च. द. । वातव्या.; च. स.) १। सेर तिलके तैलमें यह क्याथ मिलाकर मूलकस्वरसं तैलं क्षीरदध्यम्लकाभिकम । मन्दाग्नि परे पकावें । जब पानी जल जाए तो तुल्यं विपाचयेत्कल्कैवलाचित्रकसैन्धवैः॥ तेलको छान लें। पिप्पल्यतिविषारास्नाचविकागुरुचित्रकैः । इसकी नस्य देने और इसे पिलानेसे १ मास भल्लातकवचाकुष्ठश्वदंष्टा विश्वभेषजैः ॥ . में स्त्रियोंके शिथिल स्तन स्वयमेव ही कठोर हो पुष्कराहशठीबिल्वशताहानतदारुभिः। . जाते हैं। तत्सिद्धं पीतमत्युग्रान्हन्ति वातात्मकान्गदान् ।। For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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