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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
संख्या प्रयोगमाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगमाम मुख्य गुण ४८११ भूनिम्बाद्यष्टादशाङ्ग
| ४८२९ भाादि चूर्णम् ८ पकारका ज्वर, काथः तन्द्रा, प्रलाप, खांसी
भयङ्कर खांसी, शोथ दाह, मोह, श्वा
आध्मान । | ४८३८ भूनिम्बाचं , सन्निपात ज्वर । समस्त ज्वर । | ४८४० भूनिम्बाधोभूलनम् अधिक पसीना आना
चूर्ण-प्रकरणम्
गुटिका-प्रकरणम् २९७६ देवदाली प्रयोगः तीब्र ज्वर ।
४००० पिप्पली मादकः धातुगत ज्वर, श्वास, २९८३ द्राक्षादि चूर्णम् वातज्वर ।
खांसी, अग्निमांद्य, ३२७६ धान्यादि प्रयोगः मलावरोध, अग्निमांद्य
धातुक्षय । अरुचि, अजीर्ण- | ४५२७ फलत्रिकाधोमोदकः वातज ज्वर, अरुचि, जीर्णज्वर ।
खांसी, पार्श्वशूल। ३२७८ धान्यादि चूर्णम् विषमज्वर, श्वास
अवलेह-प्रकरणम् अग्निमांद्य, वायु । ३४३९ निम्बपल्लवरजः शरत्कालीन ज्वर ।
४०१८ पथ्यावलेहः दाह, ज्वर, खांसी,
रक्तपित्त, श्वास, ३४४१ निम्बादि चूर्णम् दैनिक, तिजारी, चा
वमन । तुर्थिक, सन्तत,
४०२३ पाचकावलेहः ज्वरमें मुंहका स्वासतत और धातुगत
द बिगड़ना,अरुचि, ज्वर ।
कब्ज । ३८७९ पञ्चकोल चूर्णम् रोचक, पाचक।। ४०३२ पिप्पल्याचवलेहः । जीर्णज्वर,छर्दि,तृषा, प्लीहा, ज्वर, कफ।
अरुचि, शोष, रक्त
पित्त । ३९०६ पथ्यादि योगः दाह, ज्वर, खांसी
४०३६ पुष्करमूलादि लेहः ज्वर, खांसी, कफ ।
छर्दि। ३९३९। खांसी, ज्वर, हिक्का
घृत-प्रकरणम् श्वास, प्लीहा। | ३०३८ दशमूलक्षीरपट्पल ४६११ बन्दाक योगः विषम ज्वरके कष्ट
घृतम् ज्वर, खांसी, असाध्य उपद्रव ।
ग्निमांद्य, तिल्ली।
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