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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी [७२१] - की पीड़ा, अफारा, ४७९४ " " संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण | संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण १५५३ बलादि काथः पर्वमेद, शिरः क- ४७८८ भाादि काथः विषम ज्वर, स-िनम्पन, वातपित्त पात, जीर्ण ज्वर, ज्वर। शोथ। पित्तकफज ज्वर । । ४७९० , , जीर्णज्वर, धातुगत ४५६४ बिभीतकादि , तृषा, दाह, विषम ज्वर और विषम ज्वर। ज्वर । ४५६६ बिल्वपश्चक , प्रतिश्याय, ज्वर, ४० | ४७९१ , जीर्ण ज्वर; सतत, , छर्दि। सन्तत, अन्येयुः, तृतीयक और चा४५८३ बिल्वादि , वातज्वर । तुर्थिक ज्वर। ४५८६ , क्षीरम् जीर्णज्वर । | ४७९२ , " तन्द्रिक सन्निपात । ४५९१ बीजपूरकादिकषायः हृदय तथा बस्ति- । ४७९३ " " कर्णक सन्निपात। सन्निपात, हृदय अभिन्यास ज्वर । और पसली शूल, ४५९७ बीजपूरादिपाचन आनाह, तन्द्रा खांसी कषायः कफज्वर। | ४७९५ भार्यादि काथः । कफ, खांसी, प्रति४६०३ बृहत्यादि काथः । सन्निपात चर। श्याय, श्वास, हृ४६०४ , , कफ, ज्वर । द्रोग। ४६०५ , गणः कफ प्रधान सन्नि ४७९६ " गणः __ पित्तकफ ज्वर, हृपात तथा श्वासादि ल्लास, अरुचि, छर्दि उपद्रव । तृष्णा, दाह। ४६०७ ब्राह्मचादि काथः चित्तभ्रम तथा रु. १. ४७९८ भूनिम्बादि कषायः वातञ्चर । ग्दाह सन्निपात । ४७७७ भद्रादि , समस्त प्रकारके ४८०० " " द्वन्द्वज ज्वर । शीत ज्वर। ४८०५ , काथः अतिसार, ज्वर, रक्त ४७८६ भाादि , पित्तकफज ज्वर। पित्त, खांसी, श्वास " ज्वर, श्वास, अग्नि- ४८०६ कफज ज्वर । मांध । ' ४८०७ , , वातकफज ज्वर । For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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