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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - चिकित्सा-पथ-प्रदशिनी [७११] (१७) क्षुद्ररोगाधिकारः संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण | संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण चूर्ण-प्रकरणम् लेप-प्रकरणम् २९४९ दाडिम कुसुमादि ३१३८ दन्त्यादि लेपः पिडिका । योगः नखपीड़ा । ३१५२ देवदादि , ठोडीकी सन्धिकी सूजन। घृत-प्रकरणम् ३५२८ नलिनी योगः बिन्दुल नामक की३४८७ निम्बादि घृतम् पद्मिनी कण्टक । टके स्पर्श होजानेसे ४०६० पटोल घृतम् अहिपूतना उत्पन्न पिडिकाएं। ३५५३ नीली लेपः जाल गर्दभ । । ४७१३ बिल्वाद्यौ योगौ बगलकी दुर्गन्ध । ३५०६ निम्ब तैलम् अनेक छिद्र और ४९१५ भृङ्गराजादि लेपः बाराहदंष्ट्र । अत्यधिक स्राव युक्त बलमीक। रस-प्रकरणम् ४६९७ बृहत्यादि , अलस (खारवा) ४४४६ प्रतिमेष रसः कृमियुक्त बल्मीक। तैल-प्रकरणम् (१८) गलरोगाधिकारः लेप-प्रकरणम् ३५३५ निचुलादि लेपः गलेको अत्यधिक प्रवृद्ध सूजन। (१९) गुल्माधिकारः कषाय-प्रकरणम् ३८६३ पुष्करादि काथः कोष्ठकी दाह, पीड़ा २९०८ द्राक्षादिकषायः पैत्तिकगल्म । ४५९३ बीजपूर रसादि योगः वातज गुल्म। ३२४५ धात्रीरसयोगः रक्त गुल्म । ३७०२ पञ्चमूली काथः कफज गुल्म । चूर्ण-प्रकरणम् ३७८१ पथ्यादिपाचन , गुल्मको पकाता है। ) २९९० द्राक्षादि प्रयोगः पित्तज गुल्म । For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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