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घृतपकरणम् ]
तृतीयो भागः।
[५७९]
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काय----बला (खरैटी ), अतिबला (कंघी), कृत्वा कपाय पेष्याय दधात्तामलकी सटीम् । शालपर्णी, पृष्टपर्णी, बनभंटा और गोखरु । प्रत्येक | द्राक्षां पुष्करमूलं च मेदामामलकानि च ॥ १३ तोले ४ माशे लेकर सबको कूटकर १६ / घृतं पयश्च तत्सिद्धं सर्पिरहरं परम् । सेर पानीमें पकायें और जब ४ सेर पानी शेष रह क्षयकासपशमनं शिरःपावरुजापहम् ।। जाय तो उसे छान लें।
काय-खरैटी, गोखरु, बनभटा, पृश्निपर्णा, ___अन्य द्रव पदार्थ---गिलोयका रस, चांगे
कटेली, शालपणी, नीमकी छाल, पित्तपापड़ा, नागर रीका रस, शतावरका रस, मूका रस और घृत |
मोथा, त्रायमाना और धमासा । सब चीजें समान कुमारीका रस आधा आधा सेर । कमलनालका
| भाग मिश्रित २ सेर । पानी १६ सेर । शेष काथ स्वरस, नारियलका पानी और केलेकी जड़का स्वरस |
४ सेर । २०-२० तोले । दूध ८ सेर । कल्क---असगन्ध, हरे, बहेड़ा, आमला,
कल्क-भुई आमला, शठी (कचूर), मुनका, रेणुका, देवदारु, एलबालक, शालपर्णी, अनन्तमूल,
पोखरमूल, मेदा और आमला । सब चीजें समान हल्दी, दारुहल्दी, दोनों प्रकारको सारिवा, फूल.
भाग-मिश्रित १० तोले । प्रियङ्गु, नीलोत्पल, बड़ी इलायची, मजीठ, दन्तीमूल,
विधि--१ सेर घी, ४ सेर दूध, उपरोक्त अनारदाना, नागकेसर, तालीसपत्र, बनभंटा, चमे- काथ और कल्क एकत्र मिलाकर पकावें। जब लोके ताजे फूल, बायबिडंग, पृष्टपर्णी, कट, सफेद | घृतमात्र शेष रह जाय तो छान लें। चन्दन और पाक ११-१। तोला।
इसके सेवनसे वर, क्षय, खांसी, शिरशूल विधि--२ सेर घी, उपरोक्त काथ, द्रव | और पार्श्व शूलका नाश होता है । पदार्थ, और कल्क एकत्र मिलाकर पकावें । जब (४६६४) यालचारीघृतम् घृतमात्र शेष रह जाय तो उसे छान ले।
(भै. र. । बाल.; च. द. । बाल. ६३; वृ. इसके सेवनसे उन्माद, अपस्मार, प्रवृद्ध पित्त,
मा. । ग्रहण्य.) दाह, और तृष्णाका नाश तथा बुद्धि, मेधा और स्मृतिकी वृद्धि होती है।
चारीस्वरसे सपिश्छागक्षीरसमं पचेत् । (४६६३) बलाद्यं घृतम् (५)
कपित्यव्योषसिन्धत्यसमगोत्पलबालकैः ।। (वृ. यो. त.। त. ७६; च. द.। राजय. अ.
सविल्वधातकीमोचैः सिद्धं सर्वातिसारनुत् । १०; च. सं. । चि. अ. ३; वृ. मा.। ।
ग्रहणी दुस्तरां इन्ति बालानान्तु विशेषतः ॥ राजय.; व. से.; वृ. नि. र.; यो.
कल्क---कैथका गूदा, सांठ, मिर्च, पीपल, र. । ज्वरा.)
| सेंधानमक, लज्जालु, नीलोत्पल, सुगन्धबाला, बेलबसां श्वदंष्ट्रां बृहती कलशों धावनी स्थिराम् । गिरी और धायके फूल समान भाग मिश्रित १० निम्बं पर्पटकं मुस्तं त्रायमाणां दुरालभाम् ॥ । तोले । चूकेका स्वरस ८ सेर, बकरीका दूध २
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