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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवलेहमकरणम् ] हतीयो भागः। [५७१) - अथबकाराद्यवलेहप्रकरणम्। (४६४६) बादामपाक: । (४६४७) बालकुटजावलेहः (मै. र.; र. र. । बालरो.) (नपु. मृता. । त. ४) मूलत्वचं वत्सकस्य पलमेकं सुकुट्टितम् । मज्जां बातादर्ज पिष्ट्वा प्रस्थाधे मानतो बुधः। अष्टभागं जलं दत्त्वा चतुर्भागावशेषितम् ।। प्रस्थैकं च सितां पक्त्वा विधिना मेलयेत्ततः॥ अतिविषा च पाठा च जीरकं बिल्वमेव च । पलद्वयं घृतं दत्त्वा चूर्णानेतांश्च संक्षिपेत् । आम्रास्थि शतपुष्पा च धातकी मुस्तकं तथा॥ जातीफलं च सञ्चूर्ण्य निक्षिपेत्तत्र यत्नतः। एलाद्वयं जातिफलं लवर्ष केशरं त्वचम् ॥ कर्पकर्षप्रमाणेन चूर्णयित्वा विमेलयेत् । वालानामामशूलघ्नो रक्तस्राव सुदारुणम् ।। अपि वैद्यशतेस्त्यक्तं जयेदेतन संशयः॥ मज्जाद्वयं पलैकैकं दलाश्चाथ सुवर्णजान् ॥ ५ तोले कुड़ेकी जड़की छालको कूटकर १ राजताछतमानेन सम्मेल्य विधिना ततः। । सेर पानीमें पकावें । जब २० तोले पानी शेष रह ‘पञ्चकर्षप्रमाणेन मोदकान्कारयेद्बुधः ।। जाय तो उसको छानकर पुनः पकाकर गाढ़ा करें भनिनां पुरवासानां भक्षणार्थ हि शोभनम्। | और उसमें अतीस, पाठा, जीरा, बेलगिरी, आमकी बलवृद्धिकरं शश्वद्वाजीकरणमुसमम् ।। गुठली, सोया, धायके फूल, नागरमोथा और जाय | फलका चूर्ण समान भाग मिश्रित २॥ तोले बादामको आधसेर गिरीको रात्रिके समय पानी में भिगो दें और प्रातःकाल उसे छीलकर | यह अवलेह बालकांके आमशूल और रक्तपत्थरपर पीस लें । तदनन्तर उसे १० तोले धीमें | सावको नष्ट करता है । सैकड़ों वैद्योंसे त्यक्त रोगी भूनकर १ सेर खांडको चाशनीमें मिला दें और | इससे अच्छा हो जाता है। फिर उसमें छोटो बड़ी इलायची, जायफल, लौंग, बालचातुभद्रिका केसर और दालचीनीका चूर्ण ११-१॥ तोला तथा (भै. र. । बालरोगा.) पिस्ता और चिरौंजी ५-५ तोले एवं सोने चांदीके । प्र. सं. १६३२ देखिये । वर्क १००-१०० नग मिलाकर ५-५ कर्ष । (४६४८) याहुशालगुडः (१) (६। तोले) के लड्डु बना लें। (व. से. । ग्रहण्य. ३) ! प्रितिक्ता निकुम्भा च श्वदंष्टाचित्रकं शठी। यह पाक बलवर्धक और उत्तम वाजीकरण है। विद्याला मुस्तकं शुण्ठी कमिशत्रुहरीतकी ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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