________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-
-
चूर्णप्रकरणम् ] तृतीयो भागः।
[३०७] पीपल, छोटी और बड़ी कटैली, जवाखार, रसस्तथैवाईकनागरस्य इन्द्रजौ, चीता, सारिवा, पाठा, सठी ( कचूर ) पेयोऽथ जीर्णे पयसानमधात् ॥ और पाचों नमक समान भाग लेकर चूर्ण बनावें। पीपल, जीरा, गजपीपल, कटेली, सोंठ,
इसे दही, मद्य या उष्ण जलके साथ सेवन | चीता, हल्दी, पीपलामूल, पाठा और नागरमोथा करनेसे वातज संग्रहणी नष्ट होती और अग्नि | समान भाग लेकर चूर्ण बनावें । दीप्त होती है।
इसे मन्दोष्ण जलके साथ सेवन करनेसे (३९६५) पिप्पल्याचं चूर्णम् (६)
पुराना त्रिदोषज शोथ नष्ट हो जाता है । ( ग. नि. । चूर्णा.)
चिरायता और सांठ के कल्कको अद्रक के पिप्पली चन्दनं मुस्तामुशीरं कटुरोहिणी।
रसमें मिलाकर चटानेसे भी शोथ नष्ट होता है। पाठा वत्सकीजश्च हरीतक्यो महौषधम् ॥
__ औषध पच जाने पर दूध भात खाना चाहिये । एतदामसमुत्यानमतीसारं सवेदनम् ।
(चूर्णकी मात्रा-२-३ माशे ।) कफात्मकं सपित्तश्च पुरीएं चाशु रुन्धति ॥ । (३९६७) पिप्पल्याचं चूर्णम् (८) पीपल, सफेद चन्दन, नागरमोथा, खस,
(वृ. नि. र. । अरुचि.) कुटकी, पाठा, इन्द्रजो, हर्र और सेठि समान भाग पिप्पली पिप्पलीमूलं चव्यचित्रकनागरैः । लेकर चूर्ण बनावें।
मरिचं दीप्यकश्चैव वृक्षाम्लं साम्लवेतसम् ॥ इसके सेवनसे पीडायुक्त आमातिसार, कफा- एलालवङ्गशालूकदधित्थं चेति कार्षिकम् । तिसार और पित्तातिसार शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। प्रदेयं चाति शुद्धायाः शर्करायाश्चतुः पलम् ॥ ( मात्रा–२-३ माशे । अनुपान उष्ण
चूर्णमग्निप्रसादः स्यात्परमं रुचिवर्द्धनम् । जल ।)
प्लीहकार्यमथाहसि श्वासं शूलं ज्वरं वमिम्।।
निहन्ति दीपयत्यग्निं बलवर्णरुचिप्रदम् । (३९६६) पिप्पल्याचे चूर्णम् (७)
वातानुलोमनं हृद्यं जिहाकण्ठविशोधनम् ।। ___ (वं. से.; यो. र.; वृ. नि. र. । शोथरो.)
पीपल, पीपलामूल, चव, चीता, सोंठ, काली पिप्पल्यजाजी गजपिप्पली च
| मिर्च, अजवायन, तिन्तडीक, अम्लबेत, इलायची, ___ निदग्धिका नागरचित्रके च।। | लांग, जायफल और कैथका गूदा ११-१। तोला रजन्यथो पिप्पलिमूलपाठा
तथा अत्यन्त स्वच्छ खांड २० तोले लेकर चूर्ण मुस्तश्च चूर्ण सुखतोयपीतम् ॥ बनावें। हन्यात्रिदोषं चिरजश्च शोथं
यह चूर्ण अग्निदीपक, अत्यन्त रोचक, तथा कल्कोऽथ भूनिम्बमहौषधाभ्याम् । तिल्ली, कृशता, अर्श, शूल, श्वास, ज्वर और वमन
For Private And Personal Use Only