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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेपमकरणम् ] हतीयो भागः। [२११] - (३५४९) निशादिलेपः (३) | समान भाग लेकर महीन चूर्ण करके उसे तक्रमें __(पृ. नि. र.; यो. र.; वं. से. । अर्श.) । पीसकर सरसेकेि तैलमें मिलाकर मालिश करनेसे निशाकोशानकीचूर्ण स्नुपयः सैन्धवान्वितम् । पामा इत्यादि नष्ट हो जाती है। गोमूत्रेण समायुक्तो लेपो दुर्नामनाशनः ॥ (३५५२) नीलाजकेशरादिलेपः। हल्दी, कडवी तोरी और सेंधा नमकके समान / (रा. मा. । शिरो. ) भाग मिश्रित पूर्णको थोहर (सेंड-सेहुंड) के | नीलाब्जकेशरतिलामलकैः सुपिष्टैदूधमें घोटकर गोमूत्रमें मिलाकर लेप करनेसे भर्श | यष्टयान्वितैर्बजति दारुणकः प्रणाशम् ॥ (बवासीर ) नष्ट होती है। __नीलकमलकी केसर, तिल, आमला और मुलैठी (३५५०) निशादिलेपः (४) के समान भाग मिश्रित चूर्णको पानीमें पीसकर (वं. से., पृ. मा. । मसूरि.) | लेप करनेसे दारुण नामक शिरो रोग नष्ट होता है। निशाद्वयोशीरशिरीषमुस्तकैः (३५५३) नीलीलेपः सलोध्रभद्राश्रियनागकेशरैः। (वं. से. । क्षुद्ररो.) सस्वेदविस्फोटविसर्पकुष्ठ नीलीपटोलयोर्मूलं जलपिष्टं घृतेन तम् । दोर्गन्ध्यरोमान्तिहरः प्रदेहः ।। | निहन्ति लेपनान्नूनं जालगर्दभजो रुजाम् ॥ हल्दी, दारुहल्दी, खस, सिरसकी छाल, भागरमोथा, लोध, सफेद चन्दन और नागकेसर नील और पटोलकी जड़को पानीके साथ के समभाग मिश्रित चूर्णको पानीके साथ पीसकर | महीन पीसकर धीमें मिलाकर लेप करनेसे जाललेप करनेसे शरीरकी दुर्गन्ध, पसीना, विस्फोटक, | गर्दभ नामक क्षुद्ररोग अवश्य नष्ट हो जाता है । विसर्प, कुष्ठ और रोमान्तिका नष्ट होती है। । (३५५४) नीलोत्पलादिलेपः (३५५१) निशादिलेपः (५) (वृ. नि. र.; यो. र. । उपदं.) (ई. मा.; वं. से. । कुष्ठा.; पृ. यो. त. । त. १२०) नीलोत्पलानि कुमुदं पदसौगन्धिकानि च । निशामुधारग्वधकामाची उपदंशे चूर्णयित्वा प्रलेपोऽयं प्रशस्यते ॥ पत्रैः सदावर्वीप्रघुनाटबीजैः। नीलकमल, कुमुद, पद्म ( सफेद कमल ) तक्रेणपिष्टैः कटुतैलमित्रैः | और सौगन्धिक (लाल कमल ) के चूर्णको पानीमें पामादिद्वर्तनमेतदिष्टम् ।। पीस कर लेप करनेसे उपदंश नष्ट होता है । हल्दी, थोहर (सेंड-सेहुंड ) अमलतास और यह प्रयोग ब. से. और भा. प्र. में क्षुद्र रोगोंमें मकोयके पत्ते; दारु हल्दी, तथा पमाड़के बीज । लिखा है; उसमें तिल नहीं लिखे, शेष प्रयोग समान है। For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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