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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org तृतीयो भागः । मकरणम्.] गिलोय, शुद्ध मीठा तेलिया ( वछनाग ), पटोल, नीमकी छाल, हर्र, बहेड़ा, आमला, खैरसार और अमलतास एक एक भाग लेकर कूटकर सबको चार गुने पानी में पकावें । जब चौथा भाग पानी शेष रह जाय तो उसे छानकर उसमें १ भाग शुद्ध गूगल मिला कर पुनः पकावें । जब गाढ़ा हो र चिकने पात्रमें भरकर रक्खे । [ १७९] ( मात्रा - १ से २ मासे तक । अनुपान - उष्णजल ) इनके सेवन से कुष्ट, भगन्दर और दुष्ट नाड़ीमण ( नासूर ) नष्ट होता है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३४६१) निम्बादिगुग्गुलुः ( वृ. नि. र. । शिरो रोग. ) निम्बत्वक त्रिफलावासाचूर्ण कटुपटोलिका । तोयैश्चतुर्गुणे काये पादांश वस्त्रगालितम् ।। आदाय गुग्गुलं तुल्यं क्षिप्त्वा तस्मिन्पुनः पचेत् । पिण्डितं भक्षयेत्कर्षे स्निग्धमुष्णं च भोजयेत् ॥ यह गुग्गुलु विष, विसर्प, और अठारह वातश्लेष्मोत्थितां पीडां दुःसहां च शिरोरुजम् ।। प्रकारके कुष्ठोंको नष्ट करता है । नीमकी छाल, हर्र, बहेड़ा, आमला, बासा और कड़वा पटोल, १-१ भाग लेकर सबको कूटकर चार गुने पानी में पकावें । जब चौथा भाग पानी शेष रहे तो उसे छानकर उसमें ६ भाग शुद्ध गूगल मिलाकर पुन: पकावें । जब गाढ़ा हो (१४६०) नवकार्षिकगुग्गुलुः ( यो त । त. ६१.; बृ. यो. त. । त. ११६; मो. २.१ भै. र.; वं. से.; वै. रह.; भा. प्र. स्व. २; ग.नि.; वृं. मा. र. र. । भगन्दर . ) त्रिफलापुरुकृष्णानां त्रिपञ्चकभागयोजितागुटिका जाय तो उतारकर गोलियां बना लें 1 कुभगन्दरनाडीदुष्टत्रण विशोधिनी कथिता ॥ हर्र, बहेड़ा, आमला, और पीपलका चूर्ण १ - १ भाग तथा शुद्ध गूगल ५ भाग लेकर test एकत्र कूटकर गोलियां बनावें । इसमें से नित्य प्रति १ कर्ष ( ११ तोला ) प्रतिदिन सेवन करनेसे वातकफज भयङ्कर शिरपीड़ा नष्ट होती है । पथ्य - उष्ण और स्निग्ध पदार्थ ( व्यवहारिक मात्रा - २ - ३ माशे । अनुपान - उष्णजल ) इति नकारादिगुग्गुलुमकरणम् । For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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