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[५५४ ]
चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण
संख्या प्रयोगनाम
मुख्य गुण ३० भगन्दराधिकारः गुग्गुलुप्रकरणम्
२५०१ तिलादिकल्कः । भगन्दर, नासूर, उप१३२४ गुग्गुलुप्रयोगः । भगन्दर
दंश और घावोंका १३३४ गुग्गुल्वादियोगः भगन्दर, कुष्ठ, गुल्म,
शोधन रोपण। नाडीव्रण
२५०३ तिलादिलेपः भगन्दर २४२३ त्रिफलागुग्गुलुः भगन्दर, शोथ, अर्श, ।
२५०५ ,, ,
रक्तस्राव और वेदनागुल्म
युक्त भगन्दर तैलप्रकरणम् १८०६ चित्रकाद्यं तैलम् भगन्दरके लिए शोधन
रसप्रकरणम् और रोपण है, घावके १६४० घनगर्भरसः भगन्दर स्थान का रंग पूर्ववत् १९२० चित्रविभाण्डको , कर देता है।
२५७५ ताम्रभस्म प्रयोगः सर्वदोषज भगन्दर, लेपप्रकरणम् २०८१ ज्योतिष्मत्यादि भगन्दरके धावको २८१६ त्रिगुणाख्यं ताम्र · भगन्दर
___ शुद्ध करता है।
३१ भग्नाधिकारः चूर्णप्रकरणम्
तैलप्रकरणम् १२८८ गोधूमचूर्णम् सन्धिभग्न, अस्थिभग्न । १३८१ गन्धतैलम् भग्नरोग
३२ मसूरिकाधिकारः कषायप्रकरणम्
गुडूच्यादि मसूरिकाको जल्दी ११७९ गुडूच्यादिकाथः उपद्रवयुक्त वातपित्तज
पकाता है। मसूरिका । १६५० चन्दनादि कल्कः मसूरिकाकी प्रारम्भिक
दशामें उपयोगी है। ११८६ गुडूच्यादिक्काथः वातजमसूरिका के
पाककालमें उप
| १६५९ चन्दनादिकाथः शीतलाका ज्वर योगी है।
१९७८ जातिपत्रादि , मुखपाक, कण्ठरोग
व्रण
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