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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी [५५३] - vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvn/nnnnnnnnnnnnnnnnnnnnAAAAAAAAAAAAN संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण रसप्रकरणम् १८८९ चन्द्रप्रभारसः दुस्साध्य प्रमेह १४९६ गगनायसरसायन सर्व प्रकारके प्रमेह १८९३ चन्द्रप्रभावटी समस्त प्रमेह (अत्यन्त बलवर्द्धक) | १९०६ चन्द्रोदयो रसः २० प्रकारके प्रमेह, १५२५ गन्धक प्रयोगः प्रमेहके लिये अद्भुत पित्त १५२९ गन्धकयोगः २० प्रकारके प्रमेह, २११२ जलजामृतरसः सर्वप्रमेह प्रमेहपिडिका २६१२ तारकेश्वरो रसः प्रमेह, बहुमूत्र १५६५ गुडूच्यादिमोदकः रक्तपित्त, प्रमेह, मूत्र- २६१४ , , बहुमूत्र कृच्छ, मूत्राघात, पाद- २६१५ , , , दाह, प्रदर, सोमरोग २७७१ त्रैलोक्यमोहन . प्रमेह १८८६ चन्द्रकलावटी सर्वप्रमेह २९ बालरोगाधिकारः कषायप्रकरणम् गुटिकाप्रकरणम् १११० गजपिप्पल्यादि सर्वातिसार १३१८ ग्रहनाशिनीगुटिका ग्रहनाशिनी ( पान, १६८० चिञ्चापत्रादिक्काथः शीतलाको रोकता है। अञ्जन, धूप, स्ना नादिमें प्रयुक्त) चूर्णप्रकरणम् घृतप्रकरणम् १२५८ गुडादिचूर्णम् संग्रहणी १६३२ घनादिचूर्णम् खांसी, वमन, चरा- १७७० चाङ्गेरीघृतम् ग्रहणी, अतिसार तिसार १७७१ , , गुदभ्रंश १६३३ , , वमन, ज्वर १७१३ चतुर्जातादि-- तैलप्रकरणम् अजीर्ण, श्वास, खांसम्भारकः सी, निर्बलता, कृशता २४८२ त्वगादितैलम् अजीर्ण, विचिका १९८७ जम्बूकपुष्पादि हिक्का ( हिचकी) २३२७ तूगाचूर्णम् खांसी, श्वास धूपप्रकरणम् २३ ४२ त्रिकट्वादिचूर्णम् स्वरको सुधारता है । १४५६ ग्रहप्नधूपः स्कन्दोन्माद, पिशाचादि भा०७० For Private And Personal
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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