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द्वितीयो भागः ।
रेसप्रकरणम् ]
ऊपर नीचे आधा आधा गन्धक देकर उक्त पिट्ठीको शराब सम्पुट में बन्द कर दीजिए और सुखाकर एक दिन तीत्राग्नि पर बालुकायन्त्र में पकाइये | स्वांगशीतल होने पर सम्पुटके भीतर से चांदीको निकालकर उसमें उसके बराबर व हरताल मिलाकर नीबू के रसके साथ घोटिये और टिकिया बनाकर सुखाकर उन्हें शराव सम्पुटमें बन्द करके गजपुटमें फूंक दीजिये । इसी प्रकार हरतालके साथ १२ पुट देनेसे अवश्य ही चांदीकी उत्तम भस्म बन जाती है ।
(२६२५) तारमारणम् ( ६ ) (र. प्र. सु. । अ. ४; र. र. स. पू. अ. ५ ) तारमाक्षिकयोश्चूर्णमम्लेन सह मर्दयेत् । त्रिंशत्पुटेन तत्तारं भूती भवति निश्चितम् ॥
शुद्ध चांदी और शुद्ध सोनामक्खीका चूर्ण समान भाग लेकर नीबू के रसमें घोटें और टिकिया बनाकर सुखाकर शराब सम्पुटमें बन्द करके गजपुटमें फूंक दें । इसी प्रकार नीबूके रसमें घोटकर ३० पुट देनेसे चांदी अवश्य मर जाती है ।
( नोट - स्वर्णमाक्षिक बार बार डालने की आवश्यकता नहीं है, केवल पहिली बार ही मिलानी चाहिये | )
(२५२६) तारमारणम् (७) (र. मं. अ. ५) स्वर्णमाक्षिकगन्धस्य समं भागं तु कारयेत् । अर्क क्षीरेण सम्पिष्टं तारपत्रं प्रलिप्य च ॥ पुटेन जारयेत्तारं मृतं भवति निश्चितम् ॥
सोनामक्खी और गन्धक समान भाग लेकर दोनोंको आकके दूधमें घोटकर समान भाग चांदीके शुद्ध पत्रोंपर लेप कर दीजिये और उन्हें सुखाकर
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सम्पुटमें बन्द करके फूंक दीजिये । इसी प्रकार जब तक चांदी भस्म न हो जाय पुट देते रहिये । (२६२७) तारमारणम् ( ८ )
(शा. सं. । म. ख. ११; भा. प्र. । ख. १ ) स्नुही क्षीरेण सम्पिष्टं माक्षिकं तेन लेपयेत् । तालकस्य प्रकारेण तारपत्राणि बुद्धिमान || पुटेच्चतुर्दशपुटैस्तारं भस्म प्रजायते ॥
१ भाग स्वर्ण माक्षिकको १ पहर श्रोहर ( सेहुंड - सेंड ) के दूध में घोटकर ३ भाग शुद्ध चांदी के पत्रोंपर लेप करके मूषामें बन्द करके ३० अरण्योपल ( अरने उपलों ) में फूंक दीजिये | स्वांग शीतल होने पर निकालकर पुनः इसी प्रकार पुट दीजिये | इसी प्रकार १४ पुट देनेसे चांदी भस्म हो जाती है । (२६२८) तारमारणम् (९)
( अनु. त.; शा. सं. । म. अ. ११; भा. प्र. ।
खं. १; र. र. स. पू. अ. ५ ) भागैकं तालकं मयाममम्लेन केनचित् । तेन भागत्रयं तारपत्राणि परिलेपयेत् ॥ धृत्वा मृषापुढे रुद्ध्वा पुटे त्रिंशद्वनोपलैः । समुद्धृत्य पुनस्तालं दत्त्वा रुध्वा पुढे पचेत् ॥ एवं चतुर्दशपुटैस्तारं भस्म प्रजायते ॥
१ भाग हरतालको नीबू के रसादि किसी अम्ल पदार्थ में घोटकर ३ भाग शुद्ध चांदीके सूक्ष्म पत्रोंपर लेप कर दीजिये और उन्हें मूषामें बन्द करके ३० बनोपल ( अरने उपलों ) में फूंक दीजिये | इसी प्रकार बार बार हरताल देकर १४ पुट देनेसे चांदी की भस्म वन जाती है ।
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