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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir [ ४२० ] भारत-भैषज्य-रत्नाकरः। तकारादि ताम्रभस्म मिलेगी। यह विधि किसी शास्त्रमें लिखी | २५८७) ताम्रभस्मविधिः (सोमनाथी) (९) हुई तथा वैद्यकी बतलाई हुई नहीं है। किन्तु (र. र. स. । पूर्व. अ. ५.; आ. वे. प्र.;) मैने स्वयं अनुभवसे निकालकर आजमा ली है। र. प्र. सु. । अ. ४) हर एक वैद्य बना सकते हैं । इसमें शङ्का करने शुल्वतुल्येन मूतेन बलिना तत्समेन च । कीकोइ आवश्यकता नहीं है । यह सिन्दूर | तदर्धाशेन तालेन शिलया च तदर्धया ॥ रस उतना लाल नहीं होगा जितना कि शीशी | विधायकज्जलीं श्लक्ष्णां भिन्नकज्जलसनिभाम्। वाला होता है । (र० सा०) यन्त्राध्यायविनिर्दिष्टगर्भयन्त्रोदरान्तरे ॥ (२५८६) ताम्रभस्मविधिः (८) (रसायनसार) | कज्जली ताम्रपत्राणि पर्यायेण विनिक्षिपेत् । शोधितं भावितं चापि मन्दारपयसा त्रिधा। | प्रपचेद्यामपर्यन्तं स्वागशीतं प्रचूर्णयेत् ॥ उधिस्तालकं दत्त्वा ताम्रपत्राणि सम्पुटे ॥ । तत्तद्रोगहरानुपानसहितं तानं द्विवल्लोन्मितम् । शरावयोः कृते धृत्वा चुल्ल्यांमन्दागिना पचेत् । संलीढं परिणामशूलमुदरंशुलश्च पाण्डुज्वरम्। प्रहरत्रितयेऽतीते पुटेद् वाराहसंज्ञके ॥ गुल्मप्लीहयकृत्क्षयानिसदनं मेहं च मूलामयम् । मन्दारके दूधमें तीन भावना दी हुई शुद्ध दुष्टांच ग्रहणी हरे ध्रुवमिदं श्रीसोमनाथाभिधम्। हरितालको शुद्ध ताम्रपत्रोंके नीचे ऊपर दो शरावों पारद, और गन्धक २-२ भाग, हरताल १ (सिकोरों) के बनाए हुए सम्पुट में रखकर, बालु- भाग और मनसिल आधा भाग लेकर सबकी रेता चिकनी मिट्टी वो नोन इन तीनोंकी बनी हुई | अत्यन्त महीन कजली बना लीजिये, और २ भाग कीच ले शरावोंके मुख पर मुद्रा करके सम्पूर्ण शुद्ध ताम्रके अत्यन्त महीन पत्र करा लीजिए, सम्पुटपर सात कपरौटी कर दे । खूब सूख जाने । तत्पश्चात् गर्भयन्त्रमें' पहिले थोड़ी कजली बिछा पर तीन पहर मन्दाग्निसे चूल्हे पर पका ले । बाद कर उसपर ताम्रपत्र रखिये और उसके ऊपर फिर वराहपुट में फूंक दे । स्वाङ्ग शीतल होने पर निकाले। कज्जली बिछा दीजिये, इसी प्रकार ताम्रपत्रों और ताम्रभस्मके बहुत प्रकार हैं । वैद्योंको दिग्दर्शनके | कजलीकी तह जमाकर यन्त्रके मुखको बन्द करके लिये कुछ लिख दिये गये हैं। । एक पहर तक अग्नि पर पकाइये और स्वाङ्ग१ गर्भयन्त्र--एक चार अंगुल लम्बी और ३ अंङ्गल घेरेवाली मिट्टीकी मूषा बनवाइये, इसका मुख गोल होना चाहिये । जब वह सूख जाय तो २० भाग अधजला लोह ( लोहेकी कच्ची भस्म) और १ भाग गुगलको एकत्र मिलाकर खूब कूटकर उपरोक्त मूषापर इसके ७-८ लेप कर दीजिए, हर लेपके बाद मूषाको सुखा लेना चाहिये । अन्तमें १ भाग चिकनी मिट्टी और २ भाग सेंधा नमकके महीन चूर्णको पानी में घोटकर उसका लेप कर दीजिए । बस यन्त्र तैयार है इसके ढकने पर भी इसी प्रकार लेप करके उसे मजबूत बना लेना चाहिए । आवश्यकतानुसार भूरा इमर्स बड़ी भी बनाई जा सकती है। For Private And Personal
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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