SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 251
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir चूर्णप्रकरणम् ] द्वितीयो भागः। [ २३९ ] अथ छकारादिचूर्णप्रकरणम् अथ छकारादिपाकप्रकरणम् (१९५८) छत्रादिचूर्णम् (बृ.नि.र. ।अरु.) (१९६०) छुहारापाकः (मपुं. अ. । त. ४ ) ग्वजूरपस्थं मगधा पलैकम् । छत्रा बीजं तिन्तडीकं द्राक्षा दाडिमजीरकम् ।। दुग्धेन संपाच्यं चतुर्गुणेन ।। सौवर्चलं गुडं क्षौद्रं सर्वारोचकनाशनम् ।। घृतेन संभw पलाष्टकेन । सौंफ, तिन्तडीक, मुनक्का, अनार दाना, द्राक्षाश्वगन्धामुसलीद्वयेन ।। जीरा, सौवर्चल ( काला नमक ) और गुड़ समान लवङ्गनातीफलजातिपत्री। भाग लेकर चूर्ण करके शहदमें मिलाकर चाटनेसे .. पत्रावलाकेशरकैः समांशैः ।। सर्व प्रकारकी अरुचिका नाश होता है । ( जीरा मर्वद्विभागा सुसिता समेतम् ।। भूनकर डालना चाहिए । मात्रा ३ माशे ) - वङ्गाभ्रलोहैस्तु पलार्द्धमानः ।। (१९५९) छोहारायं चूर्णम् (ग.नि.कृमि.) मज्जा त्रया क्षोटककाश्मरीभिः ।। साकं विधायास्य च मोदकान्यः ।। छोहारचित्रकविडङ्गपलाशबीजैः पुष्टस्तु हृष्टः प्रमदामदनो। सव्योपवारिदगदाभयमद्यगन्धैः । भुञ्जीत वै रोगगणप्रमुक्तः ।। वाहीकमागधिजटाजरणाजगन्धै गुठली रहित छुहारे १ सेर और पीपल .१ इचूर्ण त्रिदद्विगुणितं कृमिजिनराणाम् ॥ छटांक ( ५ तो०) लेकर पीसकर चार गुने दूधमें छोहारा (गुटली रहित), चीता, बायबिडंग, पकाइये. जब मावा तैयार हो जाय तो उसे आधा ढाफके बीज ( पलाश पापड़ा ), त्रिकुटा. ( सोंठ, सेर धीमें भूनिए और फिर सब औषधोंसे २ गुनी मिर्च, पीपल), नागरमोथा, कूठ, खस, मौलसिरीकी खांडकी चाशनी बनाकर उसमें यह मावा तथा छाल, केसर, पीपलामूल, जीरा और अजमोद समान - आधा आधा पल . ( २।।-२॥ तोले.) द्राक्षा भाग तथा निसोत सबसे दो गुना लेकर चूर्ण कर , (मुनक्का ) असगन्ध, दोनों मूसली, लौंग, जायफल, लीजिए । इसके सेवनसे कृमिरोग नष्ट होता है। जावित्री, पत्रज ( तेजपान ), बला (बीजबन्द ) और केशरका महीन चूर्ण तथा बंग, लोह और ( भात्रा २-३ माशं । अनुपान पानी ) अभक भस्म एवं पिस्ता बदाम. चिरौंजी. अखरोटकी नोट--....-६ दिन औषध खिलानेके पश्चात गिरी और खम्भारीके फल पीसकर मिलाकर रखिए । रोगीको एक विरेचन दे देना चाहिए। इसके सेवनसे मनुष्य हृष्टपुष्ट, कामनियोंक। मदभञ्जक और रोगमुक्त होता है । ॥ इति छकारादिचूर्णपकरणम् ॥ ॥ इति छकारादिपाकप्रकरणम् ।। For Private And Personal
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy