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कषायप्रकरणम् ]
द्वितीयो भागः।
[१३७]
(१६६०) चन्दनादिक्वाथ: ( ग. नि. । ज्वर.) (१६६४) चन्दनादिकाथः (व.नि.र.;वं.से.य.) चन्दनं धान्यकं मुस्तं गुडूची विश्वभेषजम् । चन्दनं मधुकं द्राक्षां कटुकां सुदुरालभाम् । पश्चाहसम्भवं हन्ति ज्वरं काथो निषेवितः॥ चन्दनादिर्गणः प्रोक्तो हन्यादाहज्वररुचिः।।
लाल चन्दन, धनिया, मोथा, गिलोय और ___लाल चन्दन, मुलैठी, मुनक्का, कुटकी और सोंठका काथ सेवन करनेसे ज्वर नष्ट होता है। धमासेका क्वाथ पीनेसे दाह, ज्वर और अरुचि (१६६१) चन्दनादिकाथः (यो. र. । स्त्रीरो.) नष्ट होती है।
चन्दनं सारिवा लोभ्रं मृद्वीका शर्करान्वितम्। (१६६५) चन्दनादिक्काथ: काथं कृत्वा प्रदद्याच्च गर्भिणीज्वरशान्तये ॥
(वृ. नि. र.; यो. र. । ज्वर.) लाल चन्दन, सारिवा, लोध और सुनकाके चन्दनोशीरधान्यं च वालकं पर्पटं तथा । काथमें खाण्ड मिला कर पीनेसे गर्भिगीका ज्वर नष्ट मुस्ताशुण्ठी समायुक्तं मन्थरज्वरनाशनम् ॥ होता है।
लाल चन्दन, खस, धनिया, नेत्रबाला, पित्त(१६६२) चन्दनादिकाथ:
पापड़ा, नागरमोथा और सोंठका काथ पीनेसे (वृ. नि. र.; वं. से.; वृं. मा.; यो. र. । रक्तपित्त.)
मन्थरज्वर ( मोतीझारा ) नष्ट होता है ।
(१६६६) चन्दनादिः दाादिश्च काथः चन्दनेन्द्रयवापाठाकटुकासुदुरालभा ।
। (पृ. नि. र.; वै. से.; . मा.; योर.; वै. र. ग.नि.अर्श.) गुडूची बालकं लोधं पिप्पलीक्षौद्रसंयुतम् ॥
चन्दनकिराततिक्तकधन्वयवासाःसनागराःकथिता कफान्वितं जयेद्रक्तं तृष्णाकासज्वरापहम् ॥
रक्तार्शसा प्रशमनाः दार्वीत्वगुशीरनिम्बाश्च ॥ ___ लाल चन्दन, इन्द्रजौ, पाठा, कुटकी, धमासा,
लालचन्दन, चिरायता, धमासा और सोंठका गिलोय, नेत्रबाला और लोधके क्वाथमें पीपलका
काथ और दारु हल्दीकी छाल, खस तथा नीमका चूर्ण और शहद मिलाकर पीनेसे कफ मिश्रित । क्वाथ रक्तार्श (खूनी बवासीर) का नाश करता है। रक्तपित्त, तृष्णा, खांसी और ज्वर नष्ट होता है ।
(१६६७) चन्दनादिपाचनकषायः (१६६३) चन्दनादिकाथः ( वै.जी.। वि.१)
(ग. नि. । ज्वरा. १) लोहितचन्दनपनकधान्य
चन्दनोत्पलहीवेरकटुकोशीरधान्यकम् । च्छि नरुहापिचुमन्दकषायः। वृहती नागरं मुस्तं वचा पर्पटकोऽमृता। पित्तकफज्वरदाहपिपासा
काथःसातिविषः पेयः पाचनो ज्वरनाशनः । वान्तिविनाशहुताशकरःस्यात् ।। ___ लालचन्दन, नीलोफर, सुगन्धबाला कुटकी, लाल चन्दन, पनाक, धनिया, गिलोय और खस, धनिया, कटैली, सोंठ, मोथा, बच, पित्तनीमकी छालका काथ पित्तकफवर, दाह, पिपासा पापड़ा, गिलोय और अतीसका काथ पाचक तथा और वमन नाशक तथा अग्निवर्द्धक है। प्वर नाशक है।
भा० १८
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