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भारत-भेषज्य-रत्नाकरः
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लेप-प्रकरणम्
९४९८ काम्बायनरसः कुष्ठ ८८७० अगस्त्यादि ले० प्रबल वातरक्त
। ९५०१ कालाग्निरुदरसः गलकुष्ठ ८८७१ अङ्कोलवीजादि खाज
९५०२ , , १ मण्डल में समस्त कुष्ठों ८८२७ अकोल्लकादि श्वित्र
को नष्ट करता है। ८८७६ अपामार्ग भस्म
९५१६ कुष्ठकुठार गलत्कुष्ठ योगः सिम
९५१७ कुष्ठध्नरसः श्वेतकुष्ठ, दाट, विचः ८८७७ अपामार्गादि दाद
चिका और त्वग्दोषको ८८७९ अमृतादि ले० शीतपित्त
अवश्य नष्ट करता है। ८८८२ अर्कक्षारादियोगः कपालकुष्ठ
९५१८ कुष्ठदलनरसः ८८९४ अवल्गुजादिलेपः श्वित्र
९५१९ कुष्ठनाशनरसः समस्तकुष्ठ ९१६४ एडगजादिलेपः सिध्म, कृमि, दाद,
९५२० कुष्टाङ्कुशरसः कृष्णकुष्ठ, वैपादिक कुष्ठ
९५२२ कुष्ठारिरसः समस्त कुष्ठ ____मण्डल कुष्ठ
९५२३ , समस्त कुष्ठ, दाद ९१६७ एलादि लेपः कुष्ठ
९५८० खगेश्वररसः श्वेत कुष्ठ, श्वास, कास ९१७९ कटुकालाब्वादि
। ९५८२ खदिरसारादि लेपः श्वेत कुष्ठ
चूर्णम् वित्र तथा अन्य कुष्ठ ९३९७ करवीरादिलेपः कुष्ठ
मिश्र-प्रकरणम् ९४०१ कर्णिकारादिलेपः ३-४ दिनमें दादको
| ९१८५ औष्ट्रीक्षीर योगः वह कुष्ठ कि जिसमें समूल नष्ट करता है।
राम नख गिर गए हों, . ९४१७ कुष्ठहरलेपः मण्डलकुष्ट (फफोला
मांस सड़ गया हो और डालता है)
कृमि पड़ गए हों नष्ट ९४२५ कृष्णधत्तूरादिले. सिध्म (सरल)
हो जाता है। ८९६६ अभ्रकयोगः असाध्य उदुम्बर कुष्ठ ९५६५ कृतमालादिक० खाज, खुजली, शीतपित्त
९५६८ कोशातकीयोगः समस्त कुष्ठ (सरलयोग) रस-प्रकरणम्
९५९५ खदिरयोगः १ मास में प्रबल कुष्ठ, ८९८५ अर्केश्वररसः सुप्ति कुष्ट, मण्डल कुष्ठ ।
पांडु, अर्श, शोथ को ८९८६ ,, रक्तामडल कुष्ट
नष्ट करता है। ९४८३ कामकलावटो वातरक्त, कुष्ठ, दाद, ९५९६ खदिररसायन कुष्ठ खाज आदि
९५९७ खदिरादियोगः कुष्ठ, कृमि
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