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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
३७६
राजयक्ष्माधिकार
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संख्या प्रयोग-नाम प्रधान गुण संख्या प्रयोग-नाम प्रधान गुण २८९ अनङ्गसुन्दर ,, अत्यन्त वाजीकरण रसायन
कुष्ठ, रसायन २९० ,, सुन्दर पौष्टिक
| ९७८ कामदीपक रस यौवन प्रदाता ३१० अभ्रक रसायन श्वास, खांसी क्षय, ज्वर, ९७९ कामदूत रस वीर्य, पुष्टि, कामवर्द्धक
अतिसार आदि नाशक | ९८० कामदेव रस वाजीकरण, रसायन,वातरोग ३१३ अमर सुन्दर सर्वरोग
नाशक पुत्रदाता ३२० अमृताख्य लोह रक्तपित्त, अम्लपित्त,क्षय, | ९८१ कामदेव रसायन, वाजीकरण
ज्वर, कुष्ठ, मूत्रकृच्छ,प्रमेह, ९८२ कामदेव रस अत्यन्त , रसायन
९८५ कामकलाख्य " " ३२२ अमृतार्णव जरा मृत्यु नाशक ९८६ कामाग्निसंदीपन रसायन, ,, ओज,पुष्टि, ३५५ अष्टावक्र रस वलि पलितहर,पौष्टिक,मेधा,
बलवर्द्धक कांति, शुक्र वर्द्धक | ९८७ कामिनिदर्पन्न ,,, ९४० कनककन्दर्प धातु वर्द्धक, वाजीकरण | ९८८ ,, मद भंजन ९४९ कन्दर्प सुन्दर अत्यन्त वाजीकरण ९८९ ,, मद विधूनन प्रमेह, वनिताद्रावक, ९७४ कान्त रसायन वृष्य, रसायन, सर्वरोगन,
वीर्यदाढर्यकारक पुत्रदाता
९९० ,, विद्रावण स्तम्भक, विद्रावक,वशीकरण ९७५ ,, लोह ,, निर्बलता, मेह,रक्तदोष, ज्वर ९९३ कार्यहर लोह कृशता, दीपन, बलवर्णवर्द्धक
पांडु, प्रमेह, कुष्ठ, रसायन | ९७३ काञ्चायन रस जरा, मृत्यु नाशक ९७६ कान्ताभ्रक(१) व्याधि, बुढ़ापा ११०५ खर्पररसायन मधुमेह, पित्त, क्षय, पांडु, ९७७ कान्ताभ्रक(२) पांडु, शोथ, उदर, ग्रहणी,
रक्तगुल्म, प्रदर, सोमरोग, शोष, कास, ज्वर, प्रमेह,
शोथ, स्त्रीरोग
४६ राजयक्ष्माधिकार कषाय
। ५५५ एलादि , " ३५८ आषपादिक्वाथ क्षयरोग ५६३ , , ,, अर्श,संग्रहणी, गुल्म चूर्ण
| ६७२ ककुभादि ,, ,, यक्ष्मा, खांसी इत्यादि ८६ अश्वगन्धादि चूर्ण (३)क्षय, प्रमेह मेद,
गुटिका उदररोग ४६१ इक्ष्वादि मोदक क्षय, ग्रहणी, वाजीकरण ८७ (४),
वन्ध्यत्व, अपस्मार,क्षीणता
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