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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
३७४
मिश्राधिकार
३७ मिश्राधिकार
संख्या प्रयोग-नाम प्रधान गुण सख्या प्रयोग-नाम प्रधान गुण
(क) योगवाही प्रयोग (ङ) धातु, उपधातु, रसोपरस २३० अगन्धखर्परपर्पटी अनुपान भेद से अनेकरोग २९३ अभ्रकशोधन २३४ अग्निकुमार रस(२) , , , २६७ ,, भस्म २५८ , ,(२६), " " | ३०३ ,, , के गुण ३१३ अमरसुन्दर, , , , ३०४ ,, निश्चन्द्रीकरण ३४४ अश्वकंचुकी,, , , , ३०५ ,, की नित्योपयोगी भस्म ३४५ , , रसानुपान
३०६ मृतोत्थापनाभ्रक भस्म ३४६ " , "
३०७ सत्व प्रधान अभ्रक भस्म ३४८ अश्विनीकुमाररस अनुपान भेद से अनेकरोग ३०८ अभ्रक के अनुपान ४४६ आरोग्यसागर रस , , ३११ अभ्रक विकार शान्ति ५१८ उदय भास्कर , , , ३४९ अष्टधातु निरूपण ५३८ उमाशम्भु रस ,
३५० अष्ट महारस ७१७ कुंकुमादि चूर्ण ,
३५३ अष्टादश रस संस्कार ९७४ कान्तरसायन :
३५६ अष्टावुपरस ९७५ कान्तलोह , , , १०५१ कांस्य भस्म ११०७ खोटाभिध रस , , ११०४ खर्पर मारण (ख) कल्प
११०६ , सत्व ६७ अमलतास के कल्प
(च) विविध ४५६ इक्ष्वाकुके ,
६६ अमलतासरखने ३०६ अभ्रक कल्प
की विधि (ग) स्वेद रोधक ५४१ ऋतुहरीतकी प्रत्येक ऋतुमें हरीतकी
सेवनविधि ५२७ उद्धृलन रस अधिक पसीना आना ।
| ५९१ अङ्गमर्द प्रशमन } बन्द करता है
बदन टूटना
महाकषाय ) (घ) वायु शोधक
६१० कण्टक पश्चमूल २१३ अष्टगन्ध धूप
८८४ कुसुम्भ तैल सर्वदोष प्रकोपकारक
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