________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(२००)
भारत-भैषज्य-रत्नाकर
बच, सतौना, गिलोय, चिरायता, थोहर और आक | वात ज्वर, श्वास, खांसी, हिचकी, हनुग्रह, गलगण्ड, के क्वाथ में शहद डाल कर पीने से कफज ज्वर | गण्डमाला, कफज स्वर भेद, शिर का भारीपन, का नाश होता है।
बधिरता, कफमेद की वृद्धि, सन्निपात, अभिन्यास [५९९] कटुक्यादिक्वाथः (२)
और मूर्छा का नाश होता है। (वृ. नि. र. । ज्वरे)
[६०१] कटफलादिकषायः (२) कटुकारोहिणी मुस्ता पिप्पलीमूलमेव च।।
(च. चि. अ. २६) हरीतकी ततो तोयमामाशयगते ज्वरे ॥
मृत्रेताः कटफलशृंगवेर ___ कुटकी, नागरमोथा, पीपलामूल, और हैड़ का
पीतद्रपथ्यातिविषाः प्रदेयाः ॥ क्वाथ सेवन करने से आमाशयगत ज्वर का नाश
___ कायफल, अदरक, दारु हल्दी, हैड और
अतीस को गोमूत्र में पका कर सेवन करने से होता है। [६००) कट्फलादिक्वाथः (१)
(कफज हृद्रोग का नाश होता है) (वृ. नि. र. । ज्वरे.)
[६०२] कटफलादिः (३)
(र. र.; बं. से. कासा; यो. चि. म. अ. ४) कटफलाब्दवचापाठपुष्कराजाजिपर्पटैः। देवदार्वभयाश्रृंगीकणाभूनिंबनागरैः ॥
कट्फलं च तथा भार्गी मुस्तं धान्यं वचाभया।
| श्रृंगी पटकं शुण्ठी सुराहश्च जले भृतम् ॥ मार्गीकलिंगकटुकाशठीकतृणधान्यकैः । समांशैः साधितः क्कायो हिंग्वाकरसैयुतः॥
मधुहिगुयुतं पेयं कासे वातकफात्मके । कर्णमूलोद्भवं शोथं हंति मन्यागलाश्रयम् ।
कण्ठरोगे मुखे शूले श्वासहिक्काचरेषु च ॥
___कायफल, भारंगी, नागरमोथा, धनिया, बच, कफवातज्वरं श्वासं कासं हिक्कां हनुग्रहम् ॥ गलगण्डं गण्डमालां स्वरभेदं कफात्मकम् ।
हैड़, काकड़ासिंगी, पित्तपापड़ा, सोंठ और देवदारु,
इनका क्वाथ बना कर उस में शहद और हींग शिरो गुरुत्वं बाधियं वृद्धिं च कफमेदसोः ॥
मिलाकर पीने से वातकफज खांसी, कण्ट रोग, दशमूलज्वरान् (?) ह्येषः सन्निपातज्वरान् जयेत्
मुख रोग, शूल, श्वास, हिचकी और ज्वर का अभिन्यासमसंज्ञां च कफलादिनिहंति च ॥ |
नाश होता है। कायफल, नागरमोथा, बच, पाढल, पोखरमूल, |
मूल [६०३] कट्फलादिक्वाथः (४) जीरा, पित्तपापडा, देवदारु, हैड, काकड़ासिंगी,
(बृ. नि. र. । अति.) पीपल, चिरायता, सोंठ, भारंगी, इन्द्रजौ, कुटकी, |
कटफलातिविषांभोदवत्सकं नागरान्वितम् । कपूरकचरी, रोहिषतृण और धनिया। सब चीजें |
भृतं पित्तातिसारनं दातव्यं मधुसंयुतम् ॥ समान भाग लेकर यथा विधि क्वाथ बना कर ।
कायफल, अतीस, नागरमोथा, कुड़े की उस में हींग और अद्रक का रस डालकर पीने से ! कर्णमूल, मन्या नाड़ी और गले की सूजन, कफ- इन के क्वाथ में शहद मिला कर पीने से
() दशमूल्या ज्वरानिति साधीयान् । 'पित्तातिसार का नाश होता है ।
For Private And Personal Use Only