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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकारादि-चूर्ण (१८७) अथ एकारादि चूर्णप्रकरणम् [९५१] एरण्डभस्मयोगः(वृ. नि. र. उदर.) | सेवन करनेसे कामला का नाश होता है। समूलपत्रमैरण्डं रुझा भांडे पुटे पचेत् । [५५५] एलादिचूर्णम् (२) (यो. २., क्षरा.) तत्कर्ष पलगोमूत्र पीतं प्लीहविनाशनम् ॥ एलापत्रं नागपुष्पं लवङ्गं । ____ एरंड को पत्र और मूल सहित लेकर बरतन ___ भागस्त्वेषां द्वौ च खजूरकस्य । बन्द कर के पुट में भस्म करें। द्राक्षायष्टीशर्करापिप्पलीना इसे ११ तोला की मात्रा से ५ तोला गोमूत्र चत्वारस्तत्क्षौद्रयुक् क्षये स्याद।। के साथ पीने से तिल्ली रोग का नाश होता है। इलायची, तेजात, नागकेसर और लोग [५५२] एरण्डमूलादि चूर्णम् | प्रत्येक १ भाग खजूर २ भाग । दाख. गुन्हेठो, ___ (वृ. नि. र. शूले.) शर्करा (खांड) और पीपल प्रत्येक ४ : इनके एरण्डमूलं तुम्बुरुबिडलवणसुवर्चलाभया। चूर्णको शहद के साथ सेवन करनेसे क्षय रोगका हिंगुरेतैरम्बुना पीतैश्च याति शूलं च गुरुगुल्मम॥ नाश होता है । __ अरण्डमूल, तुम्बुरु, विडलवण, हुलहुल, हैड [९५६] एलादिचूर्णम् (३) और हींग । इनके चूर्ण को पानी के साथ पीने से | (यो. र., शा. ध. म. खं. अ. ६., ग. शूल और गुल्म नष्ट होता है। नि. अ. १४ । छर्दि.) [५५३] एरण्डादिभस्मयोगः एलाल बङ्गगजकेशरकोलमआ. (यो. र., वृ. मा; ग. नि. २३) लाजप्रियङ्गुधनचन्दनपिप्पलीना । एरण्डवह्निशम्बूकवर्षाभूगोक्षुरं समम् । चूर्ण सितामधुयुतं मनुजो विलिहाअन्तर्दग्ध्वा पिवेदद्भिरुष्णामिः शूलशान्तये ॥ छदि निहन्ति कफमारुतपित्तः ।। ___ अरण्ड मूल, चीता, शम्बूक (कोकले,क्षुद्रशंख) | इलायची, लौंग, लागकेसर, बेरकी गु. की पुनर्नवा (साठी) और गोखरू । समान भाग लेकर | गिरी, धान की खील, फूल प्रियंगु नागरमोधा, हाण्डी में बन्द करके भस्म करें । इसे गरम पानीके चन्दन और पीपल । इनके चूर्णको मिश्री और साथ पीनेसे शूल नष्ट होता है। शहदके साथ चाटने से कफज, बाराज और पित [५५४] एलादिचूर्णम् (१) छर्दिका नाश होता है। (कृ. नि. र. काम.) | [५५७] एलादिचूर्णम् (१) एलाजीरकभूधात्री सिता गव्येन भावयेत् । (च. पा., ग. नि. अ. २७; मू प्रातर्हि सेवनं कुर्यात् कामलानाशनं परम् ॥ मूत्रेण सुरया वाऽपि मादली स्वरसेन था। इलायची, जीरा, भुई आमला और मिश्री। कफविनाशाय श्लक्ष्णं पिष्ट्वा पर्व इनके चूर्णको गोदुग्धकी भावना देकर प्रातः प्रातः छोटी इलायचीके महीन चूर्णको ना ५ For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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