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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra (१३६) www.kobatirth.org त - भैषज्य - भारत रत्नाकर अथ आकारादि गुटिका प्रकरणम् तिलापामार्गयोः कांड कारवेल्या यवस्य च । पलाशकाष्ठसंयुक्तं तुल्यं सर्वं दहेत्पुटे || तं निष्कै कमजामूत्रैर्वीं चानन्दभैरवीम् । पाययेदश्मरी हन्ति सप्तरात्रान्न संशयः ॥ तिलशठ, चिरचिटे के डंठल, करेला, जव के डंठल और ढाकका काठ इन सबको बराबर २ लेकर पुटमें भस्म करे । फिर इस भस्म को (बकरी के मूत्र में घोटकर) ४–४ माशे की गोलियां बनावे । इसका नाम आनन्द भैरवी वटी है । इसको सात दिनतक बकरी के मूत्र के साथ सेवन करने से पथरीका नाश होता है। [३९४] आमनाशिनी वटिका (र. चि. स्तबक. ४ ) [३९२] आदित्य गुटिका ( वै.. जी. ) बचाविश्वाजीरोपण गरलवाहीकदहनत्वचां कार्या वटयश्चणकतुलिता मार्कवरसैः । यथा भानोर्भासस्तिमिरनिकरं यामिनिभवं हरन्त्येताः शूलान्यनिलमनलग्लानिमपि च ॥ सुरदाली पुष्पचूर्ण गुडेन गुटिकाकृताः । गुदमध्ये प्रदेयैका पातयत्यामसागरम् ॥ अघथेत्सा समायांति मुगुरुध्वं च धारयेत् ॥ अनेन क्रमयोगेन मलं सामं विरेचयेत् ॥ जायते सकलो देहः शुद्धयु पेतो निरामयः ॥ बच, सोंठ, जीरा, कालीमिर्च, शुद्ध मीठातेलिया, हींग और चीते की छाल । इन सब को समान भाग लेकर महीन चूर्ण करके भांगरे के रस में घोटकर चने के बराबर गोलियां बनावें । यह गुटिका सर्व प्रकार का शूल और अग्निमांद्य को इस प्रकार नष्ट करती है जैसे रात्री के अंधकार को सूर्य की किरणें । | [३९३] आनन्द भैरवी वटी (र. चि. म. । अ. ९ ) देवदाली के फूलों को पीस कर गुड़में मिलाकर गोली (बत्ती) बनावे | इस बत्ती को गुदा में रखने से उदरस्थ समस्त आम ( कच्चामल) निकल जाता है और शरीर शुद्ध एवं स्वस्थ होजाता है । यदि बत्ती नीचे गिर पड़े तो उसे फिर ऊपर चढ़ा देना चाहिये । [३९५] आमवातगजसिंहोमोदकः (र. सा. सं. आ. वा. ) शुण्ठीचूर्णस्य प्रस्थैकं यमान्यश्च पलाष्टकम् । जीरकस्य पले द्वे च धन्याकश्च पलद्वयम् ।। पलैकं शतपुष्पाया लवङ्गम्य पलन्तथा ॥ टङ्कणस्य पलं भृष्टं मरीचस्य पलानि च । त्रिवृतात्रिफलाक्षारपिप्पलीनां पलन्तथा ॥ शटथैला तेजपत्रश्च चविकानां पलन्तथा ॥ अभ्रं लौहं तथा वङ्ग प्रत्येकञ्च पलं पलम् । एतेषां सर्वचूर्णानां खण्डं दद्याद्गुणत्रयम् ॥ घृतेन मधुना मिश्र कर्षमात्रन्तु मोदकम् । एकैकं भक्षयेत्प्रातर्धृतञ्चानुपिवेत्पयः ॥ शूलघ्नो रक्तपित्तानश्चाम्लपित्तविनाशनः । आमवात कुलध्वंसी केशरी विधिनिर्मितः ॥ सोंठ का चूर्ण १ सेर, अजवायन का चूर्ण आधा सेर, जीरे का चूर्ण १० तोला, धनिये का Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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