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(१३६)
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त - भैषज्य -
भारत
रत्नाकर
अथ आकारादि गुटिका प्रकरणम्
तिलापामार्गयोः कांड कारवेल्या यवस्य च । पलाशकाष्ठसंयुक्तं तुल्यं सर्वं दहेत्पुटे || तं निष्कै कमजामूत्रैर्वीं चानन्दभैरवीम् । पाययेदश्मरी हन्ति सप्तरात्रान्न संशयः ॥
तिलशठ, चिरचिटे के डंठल, करेला, जव के डंठल और ढाकका काठ इन सबको बराबर २ लेकर पुटमें भस्म करे । फिर इस भस्म को (बकरी के मूत्र में घोटकर) ४–४ माशे की गोलियां बनावे । इसका नाम आनन्द भैरवी वटी है । इसको सात दिनतक बकरी के मूत्र के साथ सेवन करने से पथरीका नाश होता है। [३९४] आमनाशिनी वटिका
(र. चि. स्तबक. ४ )
[३९२] आदित्य गुटिका ( वै.. जी. ) बचाविश्वाजीरोपण गरलवाहीकदहनत्वचां कार्या वटयश्चणकतुलिता मार्कवरसैः । यथा भानोर्भासस्तिमिरनिकरं यामिनिभवं हरन्त्येताः शूलान्यनिलमनलग्लानिमपि च ॥
सुरदाली पुष्पचूर्ण गुडेन गुटिकाकृताः । गुदमध्ये प्रदेयैका पातयत्यामसागरम् ॥ अघथेत्सा समायांति मुगुरुध्वं च धारयेत् ॥ अनेन क्रमयोगेन मलं सामं विरेचयेत् ॥ जायते सकलो देहः शुद्धयु पेतो निरामयः ॥
बच, सोंठ, जीरा, कालीमिर्च, शुद्ध मीठातेलिया, हींग और चीते की छाल । इन सब को समान भाग लेकर महीन चूर्ण करके भांगरे के रस में घोटकर चने के बराबर गोलियां बनावें । यह गुटिका सर्व प्रकार का शूल और अग्निमांद्य को इस प्रकार नष्ट करती है जैसे रात्री के अंधकार को सूर्य की किरणें ।
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[३९३] आनन्द भैरवी वटी
(र. चि. म. । अ. ९ )
देवदाली के फूलों को पीस कर गुड़में मिलाकर गोली (बत्ती) बनावे | इस बत्ती को गुदा में रखने से उदरस्थ समस्त आम ( कच्चामल) निकल जाता है और शरीर शुद्ध एवं स्वस्थ होजाता है । यदि बत्ती नीचे गिर पड़े तो उसे फिर ऊपर चढ़ा देना चाहिये । [३९५] आमवातगजसिंहोमोदकः (र. सा. सं. आ. वा. ) शुण्ठीचूर्णस्य प्रस्थैकं यमान्यश्च पलाष्टकम् । जीरकस्य पले द्वे च धन्याकश्च पलद्वयम् ।। पलैकं शतपुष्पाया लवङ्गम्य पलन्तथा ॥ टङ्कणस्य पलं भृष्टं मरीचस्य पलानि च । त्रिवृतात्रिफलाक्षारपिप्पलीनां पलन्तथा ॥ शटथैला तेजपत्रश्च चविकानां पलन्तथा ॥ अभ्रं लौहं तथा वङ्ग प्रत्येकञ्च पलं पलम् । एतेषां सर्वचूर्णानां खण्डं दद्याद्गुणत्रयम् ॥ घृतेन मधुना मिश्र कर्षमात्रन्तु मोदकम् । एकैकं भक्षयेत्प्रातर्धृतञ्चानुपिवेत्पयः ॥ शूलघ्नो रक्तपित्तानश्चाम्लपित्तविनाशनः । आमवात कुलध्वंसी केशरी विधिनिर्मितः ॥
सोंठ का चूर्ण १ सेर, अजवायन का चूर्ण आधा सेर, जीरे का चूर्ण १० तोला, धनिये का
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