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Shri Mahavir Jain Ar
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व्याख्याप्रनप्तिः ॥१११॥
SANA
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Acharya Shriyty garsuri Gyanmandir साथे कषायात्मानो संबन्ध जाणवो. तथा कषायात्मा अने जानात्मा ए पन्ने परस्पर भजनाए-विकल्पे कहेवा. जेम कषायात्मा अने उपयोगात्मानो संबन्ध कह्यो तेम कषायात्मा अने दर्शनात्मानो संबन्ध कहेंबो. तथा कषायात्मा अने चारित्रात्मा-ए बने-परस्पर
१२शतके
| उद्देश:१० भजनाए कहेवा. जेम कपायात्मा अने योगात्मा कह्या, तेम कषायात्मा अनेवीर्यात्मा पण कहेवा. ए प्रमाणे जेम कषायात्मानी साथे
॥१११२॥ इतर (छ) आत्मानी वक्तव्यता कही, तेम योगात्मानी साथे पण उपरना (पांच) आत्मानी वक्तव्यता कहेवी. जेम द्रव्यात्मानी वक्तव्यता कही तेम उपयोगात्मानी पण उपरना आत्माओनी साथे वक्तव्यता कहेवी. जेने ज्ञानात्मा होय तेने दर्शनात्मा अवश्य होय, अने जेने बळी दर्शनात्मा होय तेने ज्ञानात्मा भजनाए होय. जेने ज्ञानात्मा होय तेने चारित्रात्मा भजनाए होय-एटले कदाचिद् होय अने कदाचिद् न होय, बळी जेने चारित्रात्मा होय तेने ज्ञानात्मा अवश्य होय. तथा ज्ञानात्मा अने वीर्यात्मा ए बन्ने परस्पर भजनाए-विकल्पे होय. जेने दर्शनात्मा होय तेने उपरना चारित्रात्मा, वीर्यात्मा ए बन्ने भजनाए होय, वळी जेने ते बने आत्मा होय तेने दर्शनात्मा अवश्य होय. जेने चारित्रात्मा होय तेने अवश्य वीर्यात्मा होय, वळी जेने वीर्यात्मा होय तेने चारित्रात्मा कदाचिद् होय अने कदाचिद् न होय. [प्र०] हे भगवन् ! द्रव्यात्मा, कषायात्मा, यावद्-वीर्यात्मामां कया आत्मा कोनाथी यावद्विशेषाधिक ले ? [उ०] हे गौतम ! १ सौथी थोडा चारित्रात्मा छे, २ ते करतां ज्ञनात्मा अनंत गुण छ, : तेथी कषायात्मा अनंतगुण छे, ४ ते करतां योगात्मा विशेषाधिक छे, ५ तेथी वीर्यात्मा विशेषाधिक हे, ६ तेकरतां उपयोगात्मा द्रव्यात्मा अने दर्शनात्मा-ए त्रणे विशेषाधिक छे अने परस्पर तुल्य के.॥ ४६७ ॥
आया भंते ! नाणे अन्नाणे?, गोयमा! आया सिय नाणे मिय अन्नाणे, णाणे पुण नियमं आया || आया 8
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