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से तओहितो जाप उज्वद्वित्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववनिहिति, से णं तत्थ दिव्वाई भोग जाव IPचइत्ता पत्ये सनिगम्भे जीवे पञ्चायति, से गं तओहितो अणंतरं उब्वहित्ता मझिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे
उववजति, से तस्य दिब्वाई भोग जाव चइत्ता पंचमे सनिगम्भे जीवे पचायानि, ___ सारवाद ते त्यांची व्यवीने सुरतज मध्यम मानस-सरप्रमाण आयुपवढे संयूष-देवनिकायविषे उत्पन्न थाय छे. २ त्या दिव्य भोगवया योग्य भोगोने भोगवी यावद-विहरी ते देवलोकथी आयुषना क्षयधी ३ यावत्-व्यवीने बीजा संञीगर्भ-गर्भज मनुष्यने विषे जन्मे छे. २. त्यारपछी त्यांची नीकळी तुरत हेठेना मानस प्रमाण आयुषवडे संयुथ-देवनिकायने विषे उपजे छ त्या दिव्य भोगोने भोगवी त्यांची व्यवी श्रीजा संजीगर्म-गर्मज मनुष्यने विषे जन्मे छे, ३ त्यांची यावत्-नीकळी उपरना मानसोचर-महामानस आयुषवडे संयूथ-देवनिकायने विष उपजे छे. त्या दिव्य भोगोन भोगवी यावत्-त्यांची व्यची चोथा संझीगर्भ-गर्मजमनुष्यने विष उपजे छे. ४. त्यांची व्यवीने तुरत मध्यम मानसोचर आयुषवडे संयूथ-देवनिकायमा उपजे छे ६. त्या दिव्य भोगो | भोगवी पावत्-त्यांधी च्यवी पांचमा संझीगर्म-गर्भज मनुष्यमा उत्पन्न थाय छे. ५.
से णं तओहिंतो अणंतरं उच्चहिता हिडिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उबवजति, से गं तत्थ विब्वाइंभोग जाव चात्ता छटे सनिगन्मे जीवे पचायाति,सेणं तओहिंतो अणंतरं उववाहित्ता बंभलोगे नाम से कप्पे पन्नत्ते | पाईणपडीणायते उदीणवाहिणविच्छिन्ने जहा ठाणपदे जाव पंच बडेंसगा पं०, तंजहा-असोगषडेंसए जाब पतिKIरूवा, से णं तस्य देवे उपवजह से णं तस्थ दस सागरोवमाइं विम्बाई भोग जापचहत्तासत्तमे सनिगम्मे जीवेश
जर
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