________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
व्याख्या
प्रहसिक ११२३९॥
ANSARKAR
सुन्भिगंधे एवं दुन्भिगंधे, एवं तित्ते जाव महुरे, एवं कक्खडे जाव लुक्खे, उदइए भावे उदइयस्स भावस्स भावओ
१४शतके |तुल्ले, उदइए भावे उदइयभावषहरित्तस्स भाबस्स भावओ नोतुल्ले, एवं उवसमिए• स्वइए. खओवसमिए० पारि
उद्देशा णामिए• संनिवाइए भावे संनिवाइयस्स भावस्स० से तेण?णं गोयमा! एवं बुच्चइ-भावतुल्लए २।
॥१२३९ [प्र.) हे भगवन् ! कालतुल्य ए 'कालतुल्य' शा हेतुथी कहेवाय ? [उ.] हे गौतम! एक समयनी स्थितिवाळ पुद्गलद्रव्य एक समयनी स्थितिकाळा पुद्गलनी साधे कालथी तुल्य के. एक समयनी स्थितिबार्छ पुद्गलद्रव्य एक समयनी स्थिति सिवायना पुद्गलद्रव्यनी साथे कालथी तुल्य नथी. ए प्रमाणे यावत्-दशसमयनी स्थितिवाळा पुद्गलद्रव्य संबन्धे जाणवू. तुल्यसंख्यातासमयनी स्थितियाळा अने तुल्यअसंख्यात समयनी स्थितिवाळा पुद्गलद्रव्य संवन्धे पण ए प्रमाणे जाणवू. ते हेतुथी ए प्रमाणे कालतुल्य ए 'कालतुल्य' कहेवाय के. [म.] हे भगवन् ! शा हेतुथी एम कहेवाय छ के-भवतुल्य ए'भवतुल्य' छ ? [उ.] हे गोतम ! नारक जीव नारकनी साथै भवरूपे तुल्य छ, नारक नारक सिवायना बीजा जीव साथे भवरूपे तुल्य नथी. एप्रमाणे तिर्यंचयोनिक, मनुष्य अने देवसंबन्धे पण जाणवु. माटे हे गौतम ! ते हेतुथी यावत्-'भवतुल्य' कहेवाय छे. [म.] हे भगवन् ! शा हेतुथी एम कहेवाय ले के-भावतुल्य ए 'भावतुल्य' के ? [उ.] हे गौतम! एकगुण काळावर्णवाळु पुद्गलद्रव्य एकगुण कामवर्णवाळा पुद्गलद्रव्यनी साथे भावथी तुल्य है, परन्तु एकगुण काळावर्णवाल पुद्गलद्रव्य एकगुणकाम वर्ण शिवायना बीजा पुद्गलद्रव्य साचे भावतुल्य नथी. ए प्रमाणे यावद् दशगुण काळावर्णवाळा पुद्गल संबन्धे जाणवू. तुल्यसंख्यातगुणकाळा, तुल्यअसंख्यातगुणकाळा ६ अने तुल्यअनंतगुणकाळा पुद्गलद्रव्य संबन्धे पण एप्रमाणे जाणवू जेम काळावर्णवाळा पुद्गलद्रव्य संबन्धे कछु, तेम नील (लीलाई
For Private And Personal