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व्याख्या प्रवतिः ॥९१२।।
१०शसके उदेशा ॥११॥
अने वसुंधरा. त्यां एक एक देवीने एक एक हजार देवीनो परिवार छे. तेओमांनी एक एक देवी एक एकहबार हजार देवीना परिवारने विकुर्वी शके छ, ए प्रमाणे पूर्वापर बधी मळीने चार हजार देवीओ थाय छे. ते श्रुटिक (देवीओनो वर्ग) कद्देवाय छे.॥ ४०५।।
चमरस्स णं भंते! असुरिंदस्म असुरकुमाररत्नोसोमस्स महारनो कति अग्गमहिसीओ पबत्ताओ,अजो। चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-कणगा कलगलया चित्तगुत्तावसुंधरा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगसि दवि. सहस्सं परिवारो पन्नत्तो, पभू णं ताओ एगमगाए देवीए अन्नं एगमग देवीसहस्सं परियारं विउवित्तए, एवामेव सपुव्वावरेण चत्तारिदेविसहस्सा.सेत्तं डिप, पभू णभंते! चमरस्स अमरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सोमे महाराया सोमाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि तडिएणं अबसेस जहा चमरस्स नवरं परिपारी जहा सूरियाभस्स, सेसं तं चेव, जाव णो चेवण मेहणवत्तिय । चमरस्सणं भंते ! जाव रन्नो जमस्स महारबो कति अग्गमहिसीओ, एवं चेव नवरं जमाए रायहाणीए सेसं जहा सोमस्स, एवं वरुणस्सवि, नवरं वरुणाए रायहाणीए, एवं वेसमणस्सधि, नवरं वेसमणाए रायहाणीए, सेसं तं चेव जाब मेहुणवत्तियं ।।
[प्र०] हे भगवन् ! असुरकुमारना इंद्र अने असुरकुमारना राजा चमरना (लोकपाल) सोम नामे महाराजा पोतानी सोमा नामे राजधानीमा सुधर्मा सभामा सोमनामे सिंहासनमां बेसी ते त्रुटिक (देवीओना वर्ग) साथे भोगवा समर्थ के ? [उ०] चमरना संबन्धे का ते सर्व अहीं पण जाणवू. परन्तु तेनो परीवार सूर्याभनी पेठे जाणवो. अने पाकी सर्व पूर्व प्रमाणे कहेवू, यावत् ते देवीओ साथे पोतानी सोमा राजधानीमा मैथुननिमित्तक भोग भोगववा समर्थ नथी. [म.] हे भगवन् ! ते चमरना (लोकपाल) यम नामे
रही पण जाण. परन्तु हासनमा बेसी ते त्रुटिक (देवीओना लोकपाल) सोम नामे महाराजा पोतानी
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