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होय ? [उ०] हे सुदर्शन ! ज्यारे अढारमुहूर्तनो मोटो दिवस होय अने बार मुहूर्तनी न्हानी रात्री होय त्यारे साडाचार मुहूर्तनी व्याख्या- दिवसनी उत्कृष्ट पौरुषी होय छे, अने रात्रीनी त्रण मुहूर्तनी जघन्य पौरुषी होय छे. तथा ज्यारे अढारमुहूर्तनी मोटी रात्री होय अने ११तके प्रज्ञप्तिः
तिवार मुहूर्तनो न्हानो दिवस होय त्यारे साडा चार मुहूर्तनी रात्रिनो उत्कृष्ट पौरुषी होय छे, अने त्रण मुहूर्तनी दिवसनी जघन्य उद्देश:११ ९७६॥ पौरुषी होय छे.
॥९७६॥ कदा णं भंते ! उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहनिया दुवालसमुहुत्ता राई भवही कदा वा उक्कोसिया ४ अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ!, सुदंसणा : आसाद पुनिमाए उक्कोसए अट्ठारसमु
हुत्ते दिवसे भवइ जहनिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, पोसस्स पुन्निमाए णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवह जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भव ॥ अस्थि णं भंते ! दिवसा य राईओ य समा चेव भवन्ति !, हता! भत्थि, कदा णं भंते ! दिवसा य राईओय समा चेव भवन्ति, सुदंसणा! चित्तासोयपुन्निमासु णं, एत्थ णं दिवसा य राईओ य समा चेव भवन्ति, पन्नरसमुहुत्ते दिवसे पन्नरसमुहुत्ता राई भवइ चउभागमुहुत्तभागूणा चउमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवह, सेतं पमाणकाले ॥ (सूत्र ४२५)।
[प्र०] हे भगवन् ! अढार मुहूर्तनो मोटो दिवस, अने बार मुहूर्तनी न्हानी रात्री क्यारे होय ? तथा अढार मुहूर्तनी मोटी रात्री 14 IM अने चार मुहूर्तनो न्हानो दिवस क्यारे होय ? [३०] हे सुदर्शन ! आषाढपूर्णिमाने विषे अढार मुहूर्तनो मोटो दिवस होय छ, अने बार मुहूर्तनी न्हानी रात्री होय छे. तथा पोषमासनी पूर्णिमाने समये अढार मुहूर्तनी मोटी रात्री अने चार मुहूर्तनो न्दानो दिवस होय छे.
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सो भवइ, सेत्तं पमाणकासमुहुत्ता राई भवनिमासु णं, एस्थ