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________________ दाहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जदाणे जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवई 180 तयाणंबावीससयभागमुहुत्तमागेण परिवडमाणी परि०२उक्कोसिया अपंचममुहुत्ता दिवसस्स वाराईए वा पोरिसी माया प्रशतिः भवति । कदाणं भंते! उक्कोसिआ अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसीभवइ ? कदा वा जहनिया उद्देशान ॥९७५॥ तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, सुदंसणा ! जदा णं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जह- ॥९७५॥ निया दुवालसमुहुत्ता राई भवह तदाणं उक्कोसिया अपंचममुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ जहनिया तिमुहुत्ता 3 राइए पोरिसी भवह, जया ण उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्तिआ राई भवति जहन्निए दुवालममुहुत्ते दिवसे भवह | तदा उक्कोसिया अपंचमुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ । प्र०] हे भगवन् ! ज्यारे दिवसे के रात्रीए साडा चार मुहूर्तनी उत्कृष्ट पौरुषी होय हे त्यारे ते मुहूर्तना केटला भाग घटती घटती दिवसे अने रात्रीए त्रण मुहर्तनी जघन्य पौरुषी थाय ? अने ज्यारे दिवसे के रात्रीए त्रण मुहूर्तनी न्हानामा हानी पौरुषी होय छे त्यारे ते मुहूर्तना केटला भाग वधती बधती दिवस अने रात्रीनी साडाचार मुहूर्तनी उत्कृष्ट पौरुषी थाय ? [उ०] हे सुदर्शन ! ज्यारे दिवसे अने रात्रीए साडाचार मुहूर्तनी उत्कृष्ट पौरुषी होय छे त्यारे ते मुहूर्तना एकसो बावीशमा भाग जेटली घटती घटती दिवस अने रात्रीनी जघन्य त्रण मुहूर्तनी पोरुषी थाय छे, अने ज्यारे दिवसे अने रात्रीए त्रण मुहर्तनी जघन्य पौरुषी होय छे त्यारे मुहर्तना एकसो बावीशमा भाग जेटली बघती वधती दिवसे अने रात्रीए साडाचारमुहूर्तनी उत्कृष्ट पौरुषी थाय छे. [प्र०] हे भग- है वन् ! क्यारे दिवसे अने रात्रीए साडाचार मुहूर्तनी उत्कृष्ट पौरुषी होय, अने क्यारे दिवसे अने रात्रीए त्रण मुहूर्तनी जघन्य पौरुषी For Private And Personal
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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