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व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥५७५॥
AMAKA
शतके उद्देशः१ ॥५७५॥
FASHIKA4
दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहमपुढविकाइयएगिदियपओगपरिणया य बादरपुढविक्काइयएगिदियपयोगपरिणया य, आउक्काइयएगिदियपओगपरिणया एवं चेव, एवं दुपयओ भेदो जाव वणस्सइकाइया य । बेइंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा ! अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-,एवं तेइंदियचउरिंदियपओगपरिणयावि । पंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा, गोयमा ! चउपविहा पन्नत्ता, तंजहा-नेरहयपंचिंदियपयोगपरिणया तिरिक्ख०, एवं मणुस्स० देवपंचिंदिय०, नेरइयपचिंदियपओग० पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहा पन्नत्ता, तंजहा-रयणप्पभापुढवि| नेरइयपयोगपरिणयावि जाव अहेसत्तमपुढविनेरइयपंचिंदियपयोगपरिणयावि,
[प्र.] हे भगवन् ! प्रयोगपरिणत पुद्गलो केटला प्रकारना कह्या छ ? [उ०] हे गौतम ! पांच प्रकारना कह्या छे; ते आ प्रमाणे | एकेन्द्रियप्रयोगपरिणत ( एकेन्द्रिय जीवना व्यापारवडे परिणाम पामेला ), बेइन्द्रियप्रयोगपरिणत, यावत् पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत | पुद्गलो. [म०] हे भगवन् ! एकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो केटला प्रकारना कह्या छे? [उ०] हे गौतम ! पांच प्रकारना कह्या छ. | ते आ प्रमाणे-पृथिवीकायिकएकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो, यावत् वनस्पतिकायिकएकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो. [प्र०] हे | भगवन् ! पृथिवीकायिकएकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गली केटला प्रकारना कह्या छ ? [उ०] हे गौतम! बे प्रकारना कह्या छे, ते आ प्रमाणे-मूक्ष्मपृथिवीकायिकएकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो, अने बादरपृथिवीकायिकएकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो, ए प्रमाणे अकायिकएकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो (बे प्रकारे) जाणवा, ए प्रमाणे यावत् वनस्पतिकायिकप्रयोगपरिणत पुद्गलो पण बे प्रकारना जाणवा. [प्र०] हे भगवन् ! बेइन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गलो केटला प्रकारना छे ? [उ०] हे गौतम! ते अनेक प्रकारना
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