________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1519 शतके | उद्देशा // 8340 साडियं उत्तरासंग करेह उत्तरासंगं करेत्ता आयंते चोक्खे परमसुइन्भूए अंजलिमउलियहत्थे जेणेव समणे व्याख्या- भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता समर्ण भगवं महावीरं तिक्खुनो आयाहिणपयाहिणं प्रज्ञप्तिः करेइ 2 तिक्खुत्तो 2 जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ। तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स खत्ति८३४॥ यकुमारस्स तीसे य मह तिमहालियाए इसिजावधम्मकहा जाव परिसा पडिगया, त्यारपछी ते जमालि क्षत्रियकुमार ज्यां स्नानगृह छे त्यां आवे छे, त्यां आवीने स्नान करी, तेणे बलिकर्म (पूजा) कर्यु-इत्यादि यावत् जेम औपपातिकसूत्रमा पर्षदनुं वर्णन कयु छे तेम अहिं जाणवू, यावत् चंदनथी जेना शरीरे विलेपन करायेलं छे एवो ते जमालि सर्व अलंकारथी विभूषित थई स्नानगृहथी बहार निकळे छे. बहार निकळीने ज्या बहार उपस्थानशाला छे, अने ज्यां चारघंटावाळो अश्वरथ उभो के त्यां आवे छे. त्यां आविने ते चारघंटावाला अश्वरथ उपर चढे के. चढीने माथा उपर धारण कराता कोरंटपुष्पनी माळावाळा छत्रसहित, महान् योद्धाओना समूहथी विंटायेलो ते क्षत्रियकुंडग्राम नामे नगरना मध्यभागथी बहार निकळे छे. निकळीने ज्यां ब्राह्मणकुंडग्राम नगर आवेलुं छे, अने ज्यां बहुशाल नामे चैत्य छे त्यां आवे छे. त्यां आवीने घोडाओने रोके छे, अने स्थने उभो राखे छे. रथने उभो राखी, रथथी नीचे उतरे छे. उतरीने पुष्प, तांबूल, आयुधादि तथा उपानहनो (पगरखानो) त्याग करे के त्याग करीने एक सळंगवस्त्रनुं उत्तरासंग करे छे. करीने कोगळो करी चोक्खा अने परम पवित्र थईने अंजलिवडे वे हाथ जोडीने ज्यां श्रमण भगवन् महावीर छे त्यां आवे छे, त्यां आवीने श्रमण भगवंत महावीरने त्रण वार प्रदक्षिणा करी यावत् त्रिविध पर्युपास5नाथी उपासे छे. त्यारपछी श्रमण भगवंत महावीर जमालि नामे क्षत्रियकुमारने अने ते अत्यन्त मोटी ऋषि पर्षदाने यावत् धर्मोपदेश SSCCURIOSIGNOSISA GACAKALKACCAKACKALA For Private and Personal Use Only