________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 9 शतके उदेश // 832 // यावत् सर्वज्ञ अने सर्वदर्शी श्रमण भगवन् महावीर आ ब्राह्मणकुंडग्राम नामे नगरनी बहार बहुशाल नामना चैत्यमा यथायोग्य अवव्याख्या- | ग्रहने ग्रहण करी यावत् विहरे छे, तो हे देवानुप्रियो ! तेवा प्रकारना अर्हत भगवंतना नामगोत्रना श्रवणमात्रथी पण मोटुं फल थाय | प्रज्ञप्तिः छे-इत्यादि औपपातिक सूत्रने अनुसारे वर्णन करवू. यावत् ते जनसमूह एक दिशा तरफ जाय छ, अने क्षत्रियकुंडग्राम नामे // 32 // | नगरना मध्यभागमांथी बहार निकळे छे, निकळीने ज्यं ब्राह्मणकुंडग्राम नामे नगर छे, अने ज्यां बहुशालक चैत्य छे त्यां आवे छे. | ए प्रमाणे बधुं औपपातिक सूत्रने अनुसारे कहे, यावत् त्रण प्रकारनी पर्युपासना करे छे. त्यार पछी ते घणा मनुष्यना शब्दने यावत् | जनाना कोलाहलने सांभळीने अने अवधारीने क्षत्रियकुमार जमालिना मनमा आवा प्रकारनो आ विचार यावत् उत्पन्न थयो-'शुं| आजे क्षत्रियकुंडग्राम नगरमा इन्द्रनो उत्सव छ, स्कन्दनो उत्सव छे, वासुदेवनो उत्सव छे, नागनो उत्सव छ, यक्षनो उत्सव छे. भूतनो उत्सव छे, कूवानो उत्सव छ, तळावनो उत्सव छे, नदीनो उत्सव छे, द्रहनो उत्सव छ, पर्वतनो उत्सव छे वृक्षनो उत्सव छे चैत्यनो उत्सव छे या स्तूपनो उत्सव छे, के जेथी ए बधा उग्रकुलना, भोगकुलना, राजकुलना, इक्ष्वाकुकुलना, ज्ञातकुलना अने कुरुवंशना क्षत्रियो, क्षत्रियपुत्रो, भटो, अने भटपुत्रो, इत्यादिऔपपातिकसूत्रने अनुसारे कहेवू, यावत् सार्थवाह प्रमुख स्नान करी, बलिकर्म (पूजा) करी इत्यादि औपपातिकमूत्रमा वर्णन कर्या प्रमाणे यावत् बहार निकळे छ ? एम विचार करे छे. विचार करीने जमालि कंचुकिने बोलावे छे, बोलावीने तेने आ प्रमाणे का-'हे देवानुप्रिय ! शुं आजे क्षत्रियकुंडग्राम नामना नगरमा इन्द्रनो उत्सव छ PIके यावत् आ बधा नगर बहार निकळे छ ? ज्यारे ते जमालि नामना क्षत्रियकुमारे ते कंचुकि पुरुषने ए प्रमाणे कात्यारे ते हर्षित || अने संतुष्ट थयो, अने ते श्रमण भगवन् महावीरना आगमननो निश्चय करीने हाथ जोडी जमालि नामे क्षत्रियकुमारने जय अने विजय SSCRICA RECRUGARCANE For Private and Personal Use Only