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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 9 शतके उद्देश // 81 5य वाणमंतरेसु य होजा अहवा जोइसिएसुयभवणवासिसु य वेमाणिएसु य होजा अहवा जोइसिएसु वाणमंत | रेसु बेमाणिएसु य होजा अहवा जोइसिएमु य भवणवासीसु य वाणमंतरेसु य वेमाणिएसु य होजा / एयस्स व्याख्या |णं भंते! भवणवासिदेवपवेसणगस्स वाणमंतरदेवपवेसणगस्स जोइसियदेवपवेसणगस्स वेमाणियदेवपवेसणग-1 प्राप्तिः शास्स य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा?, गंगेया! सव्वत्थोवे वेमाणियदेवपवेसणए भवणवासिदेवपवेसणए अ॥८१०॥ 6 संखज्जगुणे वाणमंतरदेवपवेसणए असंखज्जगुणे जोइसियदेवपवेसणए संखेज्जगुणे // (सूत्रं 376 ) // है [प्र०] हे भगवन् ! देवप्रवेशनक केटला प्रकारे कयु छ ? [उ०] हे गांगेय ! चार प्रकारे कयुं छे. ते आ प्रमाणे -1 भव नवासिदेवप्रवेशनक, यावद् 4 वैमानिकदेवप्रवेशनक. [प्र०] हे भगवन् ! एक देव देवप्रवेशनकद्वारा प्रवेश करतो शुं भवनवासिमां टू होय, वानव्यंतरमा होय, ज्योतिषिकमां होय के वैमानिकमां होय ! [उ०] हे गांगेय ! 1 भवनवासिमां होय, 2 वानव्यंतर, 3 ज्यो-13 | तिष्क अने 4 वैमानिकमां पण होय. [प्र०] हे भगवन् ! बे देवो देवप्रवेशनकवडे प्रवेश करता-इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गांगेय! ते बे देवो 1 भवनवासिमां होय, 2 वानव्यंतर, 3 ज्योतिष्क अने 4 वैमानिकमां पण होय. अथवा एक भवनवासिमां होय अने एक द वानव्यतरमां होय. ए प्रमाणे जेम तियंचयोनिकप्रवेशनक कयुं के तेम देवप्रवेशनक पण यावद् असंख्याता देवोसुधी जाणवू. [प्र०]] है। हे भगवन् ! देवो उत्कृष्टपणे (कया प्रवेशनकमां होय ?)-इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गांगेय ! ते बघा ज्योतिषिकमां होय. अथवा ज्यो कतिष्क अने भवनवासिमां होय. अथवा ज्योतिष्क अने वानव्यतरमा होय. अथवा ज्योतिष्क अने वैमानिकमां होय. अथवा ज्योति क, भवनवासी अने वानव्यतरमा होय. अथवा ज्योतिष्क, भवनवासी अने वैमानिकमा होय. अथवा ज्योतिष्क, वानव्यंतर अने For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
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