________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsari Gyarmandir व्याख्याप्रातिः 1799 // K रयण संखेजा सकर० संखेजा वालुयप्पभाए होजा, एवं एएणं कमेणं एक्कको रयणप्पभाए संचारेंयब्वो जाव अहवा संखेजा रयण संखेजा सकर० सखेजा बालुयप्पभाए होजा जाब अहवा संखेजारयण संखेजा सकर संखेज्जा अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण एगे वालुय० संखेजा पंकप्पभाए होजा जाव अहवा एगे रयण. 9 शतके |एगे वालुय० संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण दो वालुय. संखेजा पंकप्पभाए होजा, एवं एएणं उद्देशा | कमेणं तियासंजोगो चउक्कसंजोगो जाव सत्तगसंजोगो य जहा दसण्हं तहेव भाणियब्बो पच्छिमो आलावगो 4799 6 सत्तसंजोगस्स अहवा संखेजा रयण मखेजा सकर० जाव संग्वेजा अहेसत्तमाए होजा॥ [प्र०] हे भगवन् ! संख्याता नैरयिको नैरयिकप्रवेशनकवडे प्रवेश करता शुं रत्नप्रभामा होय ? इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गांगेय! | संख्याता नैरयिको 1 रत्नप्रभामां पण होय अने यावद् 7 अधःसप्तम पृथिवीमां पण होय. (एक संयोगी सात विकल्प थया.) 1 अथवा एक रत्नप्रभामां होय अने संख्याता शर्कराप्रभामां होय, ए प्रमाणे यावत् 6 एक रत्नप्रभामा होय अने संख्याता अधःसप्तम पृथिवीमा पण होय. (छ विकल्प थया.) 1 अथवा वे रत्नप्रभामां अने संख्याता शर्कराप्रभामा होय. ए प्रमाणे यावत् 6 वे रत्नप्रभामा अने संख्याता अधःसप्तम पृथिवीमां पण होय. (छ विकल्प थया.)१ अथवा त्रण रत्नप्रभामा अने संख्याता शर्कराप्रभामां होय. ए प्रमाणे एकमथी एक एक नैरयिकनो अधिक संचार करवो. यावत् 1 अथवा दस रत्नप्रभामां अने संख्याता शर्कराप्रभामां I होय. ए प्रमाणे यावद् 6 अथवा दस रनप्रभामां अने संख्याता अवासप्तम पृथिवीमां होय. 1 अथवा संख्याता रसप्रभामां अने संख्याता शर्कराप्रभामा होय. ए प्रमाणे गवद् 6 अथवा संख्याता रत्नप्रभामा अने संख्याता अधःसप्तम पृथिवीमा होय. 1 अथवा AR+STERS For Private and Personal Use Only