________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
है। होय, ३ नपुंसकवेदवाळो होय के ४ पुरुषनपुंसकवेदवाळो होय ? [३०] हे गौतम ! स्त्रीवेदवाळो ,न होय, पण पुरुषवेदवाळो होय व्याख्यानपुंसकवेदवाळो न होय, पण पुरुषनपुंसकवेदवाळो होय.
९ शतके प्रज्ञप्ति । सेणं भते! किं सकसाई होजा अकसाई होजा?,गोयमा ! सकसाई होजा नो अकसाई होजा, जइ सक- उद्देशः ॥७६२॥ साई होजा से णं भंते! कतिसु कसाएसु होजा, गोयमा! चउसु संजलणकोहमाणमायालोमेसु होज्जा । तस्स ॥७६१,
गाणं भंते ! केवतिया अज्झवसाणा पन्नत्ता?, गोयमा ! असंखेजा अज्झवसाणा पन्नत्ता, ते णं भंते! पसत्था अप्प
सत्था ?, गोयमा! पसत्था नो अप्पसस्था, से णं भंते तेहिं पसत्थेहि अज्झबमाणेहिं वट्टमाणेहि अणतेहि नेर |इयभवग्गहणेहिंतो अप्पाणं विसंजोएइ अणंतेहिं तिरिक्खजोणिय जाब विसजोएइ अणंतेहिं मणुस्सभवग्गहहिंतो अप्पाणं विसंजोएइ अणतेहिं देवभवग्गहणेहिंतो अप्पाणं विसंजोएइ, जाओवि यसे इमाओ नेरइयतिरि-1 क्खजोणियमणुस्सदेवगतिनामाओ चत्तारि उत्तरपयडीओ, तासिं च णं उबग्गहिए अणंताणुबंधी कोहमाणमायालोमे खवेइ, अणं० २ अपच्चक्खाणकसाए कोहमाणमायालोमे खवेइ अप्प०२ पञ्चवाणावरणकोहमाणमाया लोभे खवेइ पच्च०२ संजलणकोहमाणमायालोमे खवेइ संज. २ पंचविहं नाणाव. नवविहं दरिसणाव. पंचविहमंतराइयं तालमत्थकडं च णं मोहणिज्ज कटु कम्मरयविकरणकर अपुवकरणं अणुपविट्ठस्स अणंते अणुत्तरे निवाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुन्ने केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने (सूत्रं ३६७)।
[प्र०] हे भगवन् ! शुं ते (अवधिज्ञानी) सकषायी होय के अकषायी होय ? [उ०] हे गौतम ! ते सकषायी होय, पण कषाय-12
For Private and Personal Use Only