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दा(म०७२.) ते प्रमाणे अहीं पण कहे. ए प्रमाणे यावद् अंतरायकार्मणशरीरप्रयोगबन्धन अन्तर जाणवू [म.] हे भगवन्! हाननावर-16 व्याख्या- गीय कर्मना देशबन्धक अने अबन्धक जीवोमां कया जीवो कया जीवोथी यावद् विशेषाधिक छ? (उ०) जेम तैनस शरीरंतु अल्पब- शतके प्रज्ञप्तिः | हुत्व कj (मू. ७३.) तेम अहीं पण जाणवू. ए प्रमाणे आयुषकर्म शिवाय यावत् अन्तराय कर्म सुधी जाणवू. [म.] आयुषकर्म संव-18 उद्देशः ॥७२३॥ न्धे पश्न. [उ०] हे गौतम ! आयुषकर्मना देशबन्धक जीवो सौथी योडाछे, अने तेनाथी अबंधक जीवो संख्यातगुण छे.॥ ३५॥ ॥७२३॥
जस्स णं भंते! ओरालियसरीरस्स सव्वबंधे से णं भंते! वेउब्धियसरीस्स किंबंधए अबंधए ! मेयमा, नो बंधए, अबंधए, आहारगसरीरस्स किं बंधए अबंधए?, गोयमा! नो बंधए, अबंधए, तेयासरीरस्स किं बंधए अबंधए ?, गोयमा! बंधए, नो अबंधए, जइ बंधए किं देसबंधए सब्बबंधए?, गोयमा ! देसबंधए, नो सव्वबंधए, | कम्मासरीरस्स किं बंधए अबंधए !, जहेव तेयगस्स जाव देसबंधए, नो सबबंधए। जस्स णं भंते! ओरालियसरीरस्स देसबंधे से णं भंते! वेउब्वियसरीरस्स किं बंधए अबंधए ?, गोयमा! नो बंधए, अबंधए, एवं जहेव
सम्वबंधेणं भणियं तहेव देसबंधेणवि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स णं । जस्स णं भंते! वेउब्वियसरीरस्स सब्बH घए से ण भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए अबंधए?,गोयमा! नो बंधए, अबंधए, आहारगसरीरस्स IPातेयगस्स कम्मगस्स य जहेव ओरालिएणं समं भाणियव्वं जाव देसबंधए नो सव्वयंधए। . .
H०] हे भगवन् ! जे जीवने औदारिकशरीरनो सर्वबन्ध छे ते जीव शु वैक्रियशरीरनो बन्धक छे के अबन्धक छ ? [उ०].हे गौ-13 तम ! ते बन्धक नथी; पण अबन्धक छे. [म.] औदारिकशरीरनो सर्वबन्धक शृं आहारकशरीरनो बन्धक छे, के अबन्धक छे ?
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