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व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥६९५॥
८ शतके उद्देशः ९ ॥६९५॥
लेसणाबंधे उच्चयबंधे समुच्चयबंधे साहणणाचंधे, से किं तं लेसणाबंधे?, लेसणाबंधेजन्नं कुडाणं कोट्टिमाणं खंभाणं पासायाणं कट्ठाणं चम्माणं घडाणं पडाणं कडाणं छुहाचिक्खिल्लसिलेसलक्खमहुसित्थमाइएहिं लेसणएहिं बंधे समुप्पजह जहन्ने] अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेनं कालं, सेत्तं लेसणाबंधे, . (प्र०] हे भगवन् ! प्रयोगबन्ध केवा प्रकारे छे ? [उ०] प्रयोगबन्ध त्रण प्रकारनो कह्यो छे, ते आ प्रमाणे- १ अनादि अपयेवसित' २ सादि अपर्यवसित अने ३ सादि सपर्यवसित प्रयोगबन्ध. तेमां जे अनादि अपर्यवसितबन्ध छे ते जीवना आठ मध्यप्रदेशोनो होय छे, ते आठ प्रदेशोमां पण त्रण त्रण प्रदेशोनो जे बन्ध ते अनादि अपर्यवसित बन्ध छे. बाकीना सर्वप्रदेशोनो सादि सपर्यवसित (सान्त) बन्ध छे. तेमां सादि अपर्यवसित बन्ध सिद्धना जीव प्रदेशोनो के. सादिक सपर्यवसित बन्ध चार प्रकारनो को ठे, ते आ प्रमाणे-१ आलापनबन्ध, २ आलीनबन्ध, ३ शरीरबन्ध अने ४ शरीरप्रयोगवन्ध. [40] आलापन बन्ध केवा प्रकारनो छे ? [उ०] आलापन बन्ध घासना भाराओनो, पांदडाना भाराओनो, पलालना भाराओनो अने वेलाना भाराओनो नेतरनी वेल, छाल, वाधरी, दोरडा, वेल, कुश, अने डाम आदिथी आलापनबन्ध थाय छे. ते जघन्यथी अन्तर्मुहूर्त अने उत्कृष्टथी संख्यात काल हूँ सुधी रहे छे. ए प्रमाणे आलापनबन्ध कह्यो. [प्र०] आलीनबन्ध केवा प्रकारनो को छ ? [उ०] आलीनबन्ध चार प्रकारनो कह्यो | छे, ते आ प्रमाणे-१ श्लेषणाबन्ध, २ उच्चयबन्ध, ३ समुच्चयबन्ध अने ४ संहननबन्ध. [प्र०] श्लेषणाबन्ध केवा प्रकारनो होय ? [उ.] शिखरोनो, कुट्टिमोनो (फरस बंधीनो) स्तंभोनो, प्रासादोनो, लाकडाओनो, चामडानो, घडाओनो, कपडाओनो अने सादडी-15 ओनो चूनावडे, कचडावडे, श्लेष-वज्रलेप-बडे, लाखवडे मीण-इत्यादि श्लेषण द्रव्योवडे श्लेषणाबन्ध थाय छे. ते जघन्य अन्तर्मु-1*
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