SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 112
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥६८२॥ ८ शतके उद्देशः ८ ॥६८२॥ देवीवि बंधइ ॥ तं भंते ! किं इत्थी बंधइ पुरिसो बं० तहेव जाव नोइत्थीनोपुरिसोनोनपुंसओ बंधइ ?, गोयमा! इत्थीवि पं० पुरिसोवि बंधइ जाव नपुंसगोवि बंधइ अहवेए य अवगयवेदो य बंधइ अहवेए य अवगयवेया य |बंधति । जइ भंते ! अवगयवेदो य बंधइ अवगयवेदा य बंधन्ति तं भंते ! किं इत्थीपच्छाकडो बंधह पुरिसपच्छा| कडो बंधइ ? एवं जहेव ईरियावहियाबंधगस्स तहेव निरवसेसं जाव अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा |य [बंधन्ति नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति ॥ तं भंते ! किं बंधी बंधइ बंधिस्पड १ बंधी बंधइन बंधिस्सइ २ बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ३ बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ४१, गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधा बंधिस्सइ १ अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ २ अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ३ अत्थेगतिए यंधी न बंधइन पंधिस्मइ ॥ तं भंते ! किं साइयं सपज्जवसिय बंधइ.? पुच्छा तहेव, गोयमा ! साइयं वा सपजवसियं बंधइ अणाइयं वा सपज्जवसियं बंधा अणाइयं वा अपज्जवसियं बंधइ, णो चेव णं साइयं अपजवसिय बंधइ । तं भंते! किं देसेणं देसं | बंधह एवं जहेव ईरियावहियाबंधगस्स जाव सब्वेणं सव्वं बंधइ ( सूत्रं ३४१)॥ | [प्र०] हे भगवन् ! सांपरायिक कर्म शुं नारक बांधे, तिथंच बांधे, यावद् देवी बांधे ? [उ०] हे गौतम ! नैरयिक पण बांधे, | तियेच पण बांधे, तियचस्त्री पण बांधे, मनुष्य पण बांधे, मनुष्यस्वी पण बांधे, देव पण बांधे अने देवी पण बांधे. [प्र०] हे भग वन् ! शुं सांपरायिक कर्मने स्त्री बांधे, पुरुष बांधे, तेमज यावत् नोस्त्री, नोपुरुष अने नोनपुंसक बांधे ? [उ०] हे गौतम ! स्त्री पण |बांधे, पुरुष पण बांधे, यावद् नपुंसक पण बांधे; अथवा एओ अने वेदरहित स्त्री वगेरे एक जीव पणवांधे, अथवा एओ अने वेदरहित For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy