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[प्र०] हे भगवन् ! ते (ऐर्यापथिक कर्मने) कोइए शु बांध्यु छे, बांधे थे, अने बांधशे; २ बांध्यं छे. बांधे छै 'अने नहीं बांधे DI३ बांध्यं छे, बाधतो नथी अने बांधशे; ४ बांध्यु छे, बांधतो नथी अने नहि बांधेः ५ बांध्यं नथी बांधे के अने बांधशे; ६ बांध्यं शतक व्याख्या-1 नथी, बांधे के अने नहि बांधे; ७ बांध्यु नथी, बांधतो नथी अने बांधशे; ८ बांभ्यु नथी, बांधतो नथी अने बांधशे नही [10] हे131
उद्देशः ८ प्राप्ति
| गौतम ! भवाकर्षने आश्रयी कोइ एके वांध युंळे, बांधे के अने बांधशे; कोइ एके बांध्यु छे, बांधे छे अने बांधशे नहीं; ए रीते बधुंद ॥६८१॥
ते प्रमाणेज जाणवू, यावत कोइ एके बांध्यु नथी, बांधतो नथी अने बांधशे नहीं. ग्रहणाकर्षने आश्रयी कोइ एके बांध्युं छे, बांधे ॥६८१॥
छे अने बांधशे. ए प्रमाणे यावत् कोइ एके बांध्यु नथी, बांधे छ भने बांधशे; पण 'बांध्यु नथी, बांधे छे अने बांधशे नहीं' ए| भांगो नथी. कोइ एके बांध्यं नथी, बांधतो नथी अने बांधशे; कोइ एके बांध्यु नथी, बांधतो नथी अने बांधशे नहीं. [प्र०] हे| भगवन् ! ते (ऐपिथिक कर्म) शु १ सादि सपर्यवसित बांधे, २ सादि अपर्यवसित बांधे, ३ अनादि सपर्यवसित बांधे के ४ अनादि अपर्यवसित बांधे ? [उ०] हे गौतम! सादि सपर्यवसित बांधे पण सादि अपर्यवसित न बांधे, तेम अनादि सपर्यवसित अने अनादि अपर्यवसित न बांधे. [प्र०] हे भगवन् ! ते (ऐपिथिक) कर्मने शुं देशथी देशने बांधे, देशथी सर्वने बांधे, सर्वथी देशने बांधे, के सर्वर्या सर्वने बांधे ? [उ०] हे गौतम ! देशथी देशने बांधतो नथी, देशथी सबने बांधतो नथी, सर्वथी देशने बांधतो नथी, पण सर्वथी सर्वने बांधे छे. ॥ २४ ॥ | संपराइयण्णं भंते ! कम्मं किं नेरइयो बंधइ तिरिक्खजोणिओ बंधह जाव देवी बंधइ ? गोयमा ! नेरइओवि |* बंधइ तिरिक्खजोणिओवि बंधह तिरिक्वजोणिणीवि बंधइ मणुस्सोवि बंधड़ मणुस्सीवि बंघइ देवोवि वंधड
कसरी
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