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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -% % व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥४.६॥ ५ शतके उद्देशः८ | ॥४०६॥ % % भंते ! केवतियं कालं वदति ?, गोयमा ! ज० एग समयं उक्को आवलियाए असंखेजतिभागं, एवं हायति, नेरइया णं भंते ! केवतियं कालं अवट्ठिया ?, गोयमा! जहन्नेणं एग समयं उनको चउब्बीसं मुहुत्ता, एवं सत्तसुवि पुढवीसु वड्दति हायंति भाणियव्वं, नवरं अवट्ठिएसु इमं नाणत्तं, तंजहा-रयणप्पभाए पुढवीए अडतालीस मुहुत्ता सकर चोद्दस रातिदियाणं वालु. मासं पंक० दो मासा धूम. चत्तारि मासा तमाए अट्ठ | मासा तमतमाए वारस मासा । [प्र०] हे भगवन् ! एम कही भगवंत गौतमे श्रमण भगवंत महावीरने एम का के, हे भगवन् ! जीवो शुं वधे छे, घटे छे के अवस्थित रहे छे ? [उ०] हे गौतम ! जीवो वधता नथी, घटता नथी पण अवस्थित रहे छे. [प्र०] हे भगवन् ! नैरयिको शु सावधे छे, घटे छे के अवस्थित रहे छे ? [उ०] हे गौतम ! नैरयिको वधे पण छे, घटे पण छे अने अवस्थित पण रहे छे, जेम नैर| माटे का एम यावत् वैमानिक सुधीना जीवो माटे जाणवू. [प्र०) हे भगवन् ! सिद्धोनो प्रश्न करवो अर्थात् तेओ वधे छे, घटे छे के अतस्थित रहे छे ? [उ०] हे गौतम ! सिद्धो वधे छे, घटे नहि अने अवस्थित पण रहे छे. [प्र०] हे भगवन् ! केटला काळ सुधी जीवो अवस्थित रहे ? [उ०] हे गौतम ! सर्वकाळ सुधी. [सं०] हे भगवन् ! नैरयिको केटला काळ सुधी वधे छ ? [उ. हे गौतम! जधन्यथी एक समय सुधी अने उत्कृष्टथी अने आवलिकाना असंख्य भाग मुधी नैरयिक जीवो वधे छे. ए प्रमाणे घटवानो काळ पण तेटलो जाणवो. [प्र०] हे भगवन् ! नैरयिको केटला काळ सुधी अवस्थित रहे छे ? [उ०] हे गौतम ! जघन्ये एक समय सुधी अने उत्कृष्टथी चोवीश मुहूर्त सुधी नैरयिको अवस्थित रहे छे. ए प्रमाणे साते पण पृथिवीओमां वधे * For Private and Personal Use Only
SR No.020107
Book TitleBhagvati Sutram Part 02
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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