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व्याख्या
प्रज्ञप्ति ॥४.४॥
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एवं कालओ भावओ। जे दब्बओ सपदेसे से खेत्तओ सिय सपदेसे सिय अपदेसे, एवं कालओ भावओवि ।। जे खेत्तओ सपदेसे से दब्वतो नियमा सपदेसे, कालओ भयणाए, भावओ भयणाए, जहा दव्वओ तहा।
४५शतके कालओ भावओवि ॥
उद्देशः८ त्यारबाद ते निग्रंथीपुत्र अनगारे नारदपुत्र अनगारने एम का के, हे आर्य ! मारा धारवा प्रमाणे द्रव्यादेशवडे पण सर्व पुन्- ||४०४|| गलो सप्रदेश पण , अने अप्रदेश पग हे, तेओ अनंत हे क्षेत्रादेशवडे पण एमज हे, कालादेश अने भावादेशवडे पण ए प्रमाणेज छे, जे पुद्गल, द्रव्यथी अप्रदेश छे, ते, नियमे करी चोक्कस क्षेत्रथी अप्रदेश होय छे, कालथी कदाचित् सप्रदेश अने कदाचित् अप्रदेश होय अने भावथी पण कदाचित् सप्रदेश होय अने कदाचिद् अप्रदेश होय. जे क्षेत्रथी अप्रदेश होय ते द्रव्यथी कदाच सप्रदेश होय अने कदाच अप्रदेश होय, कालथी तथा भावी पण भजनाए जाणवू, जेम क्षेत्रथी कह्यं तेम कालथी अने भावथी कहेg. जे पुद्गल द्रव्यथी सप्रदेश होय ते क्षेत्रथी कदाच सप्रदेश होय अने कदाच अप्रदेश होय, एम कालथी अने भावथी जाणी ले. जे पुद्गल क्षेत्रथी सप्रदेश होय ते, द्रव्यथी चोकस सप्रदेश होय अने कालथी तथा भावथी भजनावडे होय, जेम द्रव्यथी का। तेम कालथी अने भावथी पण जाण.
एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं दव्वादेसेणं खेत्तादेसेणं काला देसेणं भावादेसेणं मपदेसाण य अपदेसाण य | कयरे २ जाव विसेमाहिया वा?, नारयपुत्ता सव्वत्थोवा पोग्गला भावादेसेणं अपदेसाकालादेसेणं अपदेसा असंखेजगुणा दब्वादेसेणं अपदेसा असंखेजगुणा खेत्तादेसेणं अपदेसा असंखेजगुणा खेत्तादेसेणं चेव मपदेसा असं
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