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व्याख्या प्रज्ञप्ति
७ शतके | उरेशः९ |॥५५३।।
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कए समाणे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसकारपरकमे अधारणिजमितिकटु तुरए निगिण्हइ तुरए निगिण्हित्ता रहं परावत्तेह रहं परावत्तित्ता रहमुसलाओ संगामाओ पडिनिक्स्वमतिरएगतमंतं अवकमइ एगतमंतं अवक्कमित्ता तुरए निगिण्हइ २त्ता रहं ठवेइ २ त्ता रहाओ पञ्चोरुहइ रहाओ र रहाओ तुरए मोएइ तुरए मोएत्ता तुरए विसज्जेइ २त्ता (ग्रन्थ ४०००)२ दन्भसंथारगं संथरइ २ (पुरच्छाभिमुहे दुरूहइ दन्भसं०२) पुरच्छाभिमुहे संपलियकनिसने करयल जाव कद्द एवं वयासी-नमोत्थु णं अरिहंताणं जाव संपत्ताण, नमोत्थु णं समणस्म भगवओ महावीरस्स आइगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्म धम्मोवदेसगस्स, वंदामि गं भगवन्तं तत्थगयं इहगए, पासउ मे से भगवं तत्थगए जाव वंदति नमसति २ एवं वयासी-पुम्विपि मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए थूलए पाणातिवाए पचखाए जावजीवाए एवं जाप धूलए परिग्गहे पचक्रवाए जावज्जीवाए, इयाणिंपिणं अरिहंतस्सेव भगवओमहावीरस्स अंतिय सव्वं पाणातिवायं पच्चरवामि जावज्जीवाए एवं जहा खंदओ जाव एयपि णं चरमेहिं ऊसासनीसासेहिं वोसिरिस्सामित्तिकदु सन्नाहपहूँ मुयह सन्नाह पदं मुइत्ता मल्लुद्धरण करेति मल्लद्धरणं करेत्ता आलोइयपडि कोते समाहिपत्ते आणुपुवीए कालगए । तए णं तस्स वरुणस्स णागनत्तुयस्स एगे पियवालवयंसए रहमुसलं संगाम संगामेमाणे एगेणे पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अबले जाव अधारणिज्जमितिकटु वरुणं णागननयं रहमुसलाओ संगामाओ पडिनिखममाणं पासइ पासइत्ता तुरए निगिण्हइ तुरए निगिणिहत्ता जहा
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