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याख्याप्रज्ञप्तिः ॥३३२॥
५ शतके उद्देशः१ ॥३३२॥
मंदरस्स पब्वयस्स उत्तरदाहिणेणं राती भवति ?, हंता गोयमा! जदा णं जंबु. मंदरपुरच्छिमेणं दिवसे जाव
राती भवति । जदा ण भंते ! जंबुद्दीवे २ दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवति तदा ण उत्तरदेवि | उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जदा ण उत्तरद्धे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति?, हंता गोयमा ! जदा णं जंषु० जाव
दुवालसमुहुत्ता राती भवति । ६] [प्र०] हे भगवन् ! ज्यारे जंबूद्वीपमा दक्षिणार्धमा दिवस होय छे, त्यारे उत्तरार्धमा पण होय छे अने ज्यारे उत्तरार्धमां पण हा दिवस होय छे त्यारे जंबूद्वीपमां मंदर पर्वतनी पूर्व पश्चिमे रात्रि होय छे ? [उ.] हे गौतम ! हा, एज रीते होय छे-ज्यारे जंबूद्वीPIपमा दक्षिणार्धमां पण दिवस होय छे त्यारे यावन्-रात्री होय छे. [प्र०] हे भगवन् ! ज्यारे जंबूद्वीपमा मंदर पर्वतनी पूर्व दिवस | होय छे त्यारे पश्चिममा पण दिवस होय छे अने ज्यारे पश्चिममां दिवस होय छे त्यारे जंबुद्वीपमा मंदर पर्वतनी उत्तर दक्षिणे रात्री होय छे ? [उ.] हे गौतम ! हा, एज रीते होय छे. ज्यारे जंबुद्वीपमां मंदर पर्वतनी पूर्वे दिवस होय हे त्यारे यावत्-रात्री होय छे.
[प्र.] हे भगवन् ! ज्यारे जंबूद्वीपमा दक्षिणार्धमां वधारेमां वधारे मोटो अढार मुहूर्तनो दिवस होय छे त्यारे उत्तरार्धमां पण वधाबारेमां वधारे मोटो अढार मुहुर्तनो दिवस होय छे अने ज्यारे उत्तरार्धमा सौथी मोटो अढार मुहूर्तनो दिवस होय छे त्यारे जम्बूद्वी
पमां मंदर पर्वतनी पूर्व पश्चिमे नानामा नानी बारमुहूर्तनी रात्री होय छे ? [उ०] हे गौतम ! हा, एज रीते होय छे-जंबूद्वीपमा यावत्-चार मुहूर्तनी रात्री होय छे.
FACAMACHAR
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