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व्याख्या
प्रज्ञप्तिः
॥१९६॥
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य | लोयागासे णं भंते! किं जीवा जीवदेसा जीवपदेसा अजीवा अजीवदेसा अजीवपएसा ?, गोयमा ! जीवावि जीवदेसावि जीवपदेसावि अजीवावि अजीवदेसावि अजीवपदेमावि, जे जीवा ते नियमा एगिंदिया बेंइंदिया तेइंदिया चउरिंदिया पंचेंदिया अणिंदिया, जे जीवदेसा ते नियमा एगिंदियदेसा जाव अनिंदियदेसा, जे जीवपदेसा ते नियमा एर्गिदियपदेसा जाब अणिदियपदेसा, जे अजीवा ते दुविहा पक्षता, तंजहा- रूबी य अरूवी य, जे रूवी ते चउब्विहा पण्णत्ता, संजहा- बंधा खंघदेसा बंधपदेसा परमाणुपोग्गला, जे अरूवी ते पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा - धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्धिकायस्स पदेसा अधम्मत्किाए नो अम्मत्किारस देसे अधम्मत्थिकायस्स पदेसा अद्धासमए ।। (सू० १२० ) ।।
[प्र०] हे भगवन् ! आकाशना केटला प्रकार का छे ! [उ०] हे गौतम! आकाशना वे प्रकार कथा छे. ते आ प्रमाणे:लोकाकाश अने अलोकाकाश. [प्र०] हे भगवन् ! लोकाकाश ए जीवो छे. जीवना देशो छे, जीवना प्रदेशो छे, अजीवो छे, अजीवना देशो के के अजीवना प्रदेशो के ? [३०] हे गौतम! ते जीवो पण छे, जीवना देशो पण छे, जीवना प्रदेशो पण छे, अजीवो पण छे, अजीवना देशो पण छे, अने अजीवना प्रदेशी पण छे, जे जीवो छे ते चोकस एकेंद्रियो, वे इंद्रियो, त्रेइंद्रियो, चतुरिंद्रियो पंचेंद्रियो अने अनिंद्रियों के. जे जीवना देशो छे ते चोक्कस एकेंद्रियना देशो के अने यावत्-अनेंद्रियना देशो छे जे जीवना प्रदेशो छे ते चोकस एकेंद्रियना प्रदेशो छे. अने यावत्-अनेंद्रियना प्रदेशो छे. जे अजीवो छे ते वे प्रकारना कया छे. ते आ प्रमाणे:रूपी अने अरूपी जे रूपी छे देना चार प्रकार कथा छे. ते आ प्रमाणे:- स्कंध, स्कंधदेश स्कंधप्रदेश अने परमाणुपुद्गल, जे अरूपी
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२ शतके उद्देशः १० ॥१९६॥