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के उदेशः१ ॥१२॥
भंत बायाति से भंते किवावमा , गोयमा
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असरीरी निकालयवउवियाई वि
व्याख्या
हे भगवन् ! वायकाय वाणुकायोनेज अंदरना अने बहारना श्वासमा ले छे ? तथा तेओनेन अंदरना अने बहारना निःश्वासमां मूके
के ? [उ.] हे गौतम ! हा वायुकाय वायुकायोनेज यावत्-अंदरना अने बहारना निःश्वासमां मूके छे ।। ८५ ।। प्रज्ञप्तिः
वाउयाए णं भंते! वाउयाए चेव अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता तत्थेव भुजो भुजो पच्चायाति?, ॥१२५॥ महंता गोयमा ! जाव पञ्चायाति। से भंते किं! पुढे उद्दाति अपुढे उहाति ?, गोयमा! पुढे उद्दाइ, नो अपुढे उद्दाइ।
से भंते ! किं ससरीरी निक्खमइ असरीरी निक्खमइ ?, गोयमा ! सिय ससरीरी निक्वमइ, सिय असरीरी निक्वमइ । सेकेणढणं भंते! एवं बुच्चइ-सिय ससरीरी निकखमइ, सिय असरीरी निक्खमइ?, गोयमा! बाउयायस्स णं चत्तारि सरीरया पन्नत्ता, तंजहा-ओरालिए बेउन्विा तेयए कम्मए, ओरालियवेउब्वियाई विप्पजहाय तेयकम्मएहिं निवमति, से तेणटेणं गोयमा! एवं बुचड-सिय ससरीरी०, सिय असरीरी |निक्वमह॥ (म०८६)॥
[प्र०] हे भगवन् ! वायुकाय वायुकायमांज अनेकवार मरीने पालो त्यांज उत्पन थाय ? [उ०] हे गौतम : ते पाछो त्यांज | आवे. [प्र०] हे भगवन् ! ते वायुकाय स्वजातिना अथवा परजातिना जीवो साथे अथडावाथी मरण पामे ? के कोई साथे अथडाया
सिवाय मरण पामे ? [उ०] हे गौतम ! अथडाबाथी मरण पामे. पण कोइ साधे अथडाया सिवाय ते मरे नहि. [प्र०] हे भगवन् ! | ते शरीरवाळो थइने जाय छे के शरीरविनानो थइने जाय के ? [उ०] हे गौतम ? वायुकायने चार शरीर को के. ने आ प्रमाणे:
औदारिक, वैक्रिय, तेजस, अने कार्मण. तेमा औदारिक अने वैक्रिय शरीरने छोडीने जाय छै माटे शरीरविनानो थइने जाय के अने
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