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परीसुस्सीन
किया जाता है। चम्पा में सर्पदंश स्थान पर इसे अरुकामलक arukāmalak-ता० अम्बाहल्ली, पीसकर लगाते हैं। कूलू में इसकी जड़ भेड़ों को | आम्रहरिद्रा । (Curcuma amada). उदरशूल होनेपर व्यवहार में आती है । जब बच्चे मे० मे०। . इसे खाते हैं तो उनके मुखपर इसका हानिकारक | अरुक् aruk-सं० त्रि० सुस्थ, नीरोग। प्रभाव होता है। (स्टवर्ट) ई० मे० प्लां।
अरुगम-पट्ट arugam-patta-ता० अरोसुस्मीन aarisussina-अ० बिश्नीन।। नीलोफर के सहरा एक बूटी है।
अरुगम-पुल्लु alugam pullu-ता० ।
दूर्वा, दूब । (Cynodon dactylon) अरू aru-म०, सफतालू, भाड़। मरुतुद arun tuda-हिं० वि० [सं०] (1)
मेमो०। मर्मस्थान को तोड़ने वाला । मर्मस्पृक् । (२) अरुगु alugu-ते. (१) कोदो, कोदव । ( Paदुःखदायी ।-संशा पु० शत्रु, बैरी ।
spaluin-scrobiculatum)। अरुः,-स् aruh, s-सं० पु. (१) प्रारग्वध वृक्ष, -ता० (२) सुफेद दूर्व ।
अमलतास । सोन्दाल गाछ-बं० । ( Cassia | अरुग्णः arugnah- सं० त्रि. fistula.)। (२) रक खदिर ( Red Cate. अरुग्ण arugna-हिं० वि. . chu.)। (३) क्षत, व्रण । अथर्व० । (४) सुस्थ, निरोग, रोग रहित । ( Healthy ) .. मर्म । (५) संधिस्थान | उ०।
अरुनिमेष: arungni-meshah-सं०. स्त्री० अरुप्रा arua-मेवा० महानीम, महानिम्ब। (Aila
नेत्र रोग विशेष । ( An eye-disease) nthus Excelsa.)
अरुच arucha-हिं० स्त्री० गर्भवती स्त्री की . प्रहार aruara-हि. कचनार के सदृश एक
अरुचि । वृत है । पत्ते अनार के समान किन्तु उससे बड़े सम्मुखवर्ती डंठलयुक्र होते हैं ( डंठल लगभग
जना अरुचिः archih-सं०स्त्रो० . १ अंगुल दीर्घ); पुष्प डंठलयुक्र, डंडल १-१॥ अरुचि aruchi-हिक संज्ञा स्त्री० . अंगुल लम्बे होते हैं। पुष्प-वाह्य-कोष ( कुण्ड ),
अग्निमांद्य रोग । अरोचक रोग । भूख होनेपर भी सूचम, दंष्ट्राकार, बीजकोषोर्ष, हरिताभ पीतवर्ण
भोजन करने का सामर्थ्य न होना, भोजन को के होते हैं । पुष्पाभ्यन्तर-कोष (दल) पञ्चकंगूरेयुक्र
अनिच्छा, वितृष्णा, जी मचलाना । (Anoreतथा पीताभ होता है। रतन्तु ४, जिनमें २ बड़े
xia ) भा० म. १ भा० श्लेष्मज्वर । तथा २ छोटे होते हैं। पराग-कोष इस प्रकार का
देखो-अरोचकः। (२) रुचि का अभाव, होता है । गर्भकेशर पु'केशर से बड़ा तथा अनिच्छा । (३) घृणा । नफरत | द्वयोष्टीय होता है। फाल्गुन मास में इसमें पुष्प | अरुचिकर aruch kara-हिं० वि० [सं० श्राते हैं और उस समय यह पुष्पों से प्राच्छादित | जिससे अरुचि हो जाए, जो रुचिकारक न हो, होने के कारण अत्यन्त मनोहर प्रतीत होता है ।। जो भला न लगे। इसकी छाल किञ्चित् कइ ई तथा पुष्प तिक्र व |
अरुजः arujah-सं० पु. (१) पारग्वध वृत, मधुर होता है । लकड़ी भीतर से धूसर वर्ण की
अमलतास। (Cassia fistula) बड़ शीशमके समान अत्यन्त चिकनी होती है । इसके
सोनालु-बं० । रा०नि० व०६। वृक्ष अधिकतर कंकरीली पथरीली भूमि पर उत्पन्न
___ क्ली० (२) कुकुम, केशर । ( Saffron) होते हैं।
(३) सिन्दूर । (Redlead, minum). उत्पत्ति-स्थान-संयुक्त प्रांत | अरुई arui-हिं० संज्ञा स्त्री० आलुकी, अरवी, | अरुज aruja-हिं० वि० [सं०] नीरोग । रोग घुइया । ( Arun colocasia.)
रहित । ( Healthy ).. .
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