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अरण्यवाताद
अरण्यवांताद
- ( Pistacia tere binthus) के समान रासायनिक संगठन-बीन ( Brein ) त्रिकोणमय बीज होते हैं। परन्तु अरबी कोषकार ६० प्रतिशत, एमाइरीन ( राल ) २५ प्रतिशत, उसे बालसंम फल (Carpobalsamum ) Artista (Bryoidin ), asta( Breख्याल करते हैं। ऐन्सली कहते हैंकि अपनी जावा idin ) तथा एलेमिक अम्ल | लयशीलताकी औषधीय वनस्पतियों की सूची में हॉर्सफील्ड यह ईथर में तो बिलकुल लय हो जाता है, पर हमें बतलाते हैं कि उक्त निर्यासमें कोपाइबी बाल- मद्यसार (६०%) में भी इसका बहुत सा सम ( Balsam of copaiba ) के भाग लयशील होता है। समान ही गुणधर्म हैं । इसकी त्रिकोणयुक्त गिरी प्रयोगांश-गुठली अर्थात् बोज तथा तैल, को दिहाती लोग कच्चे ही एवं पका कर खाते जमा हुआ आलियो-रेजिन जो काटने से टपकने हैं और तेल ताजी दशा में खाने तथा बासी होने लगता है ( एलेमी)। पर जलाने के काम आता है। राल भी जलाने के औषध-निर्माण-प्रलेप(५ में ); गिरी काम आता है।
अर्थात् बीज तथा तेलका इमल्शन | मात्रा-प्राधा जावा में वीज के लिए इसके वृक्ष लगाए
श्राउंस से १ पाउंस। जाते हैं। भारतवर्ष में ट्रावनकोर के पास यह एलिमाई प्रलेप ( Unguentum ele. अत्यन्त सफलतापूर्वक उत्पन्न किया गया है। mi )। मरहम रातीनजुल मन्शिम्-अ० ।
शे खुरईस ने मन्शिम (हब्बुल मन्शिम ) के निर्माण-एलीमाई १ भाग, स्परमेसीटाई नाम से इस वृक्ष के फल का वर्णन किया है।
प्राइंटमेंट ४ भाग दोनों को परस्पर पिघला कर हब्बुल मन्शिम के नाम से महजनुल अद्वियह,
छान लें और शीतल होने तक हिलाते जाएँ। और मुहीत आज़म में भी इसका वर्णन पाया है।
प्रभाव-स्निग्धताजनक. उत्तेजक और श्लेष्मयमन तथा हजाज़ निवासी इसके तैल को निस्सारक । निर्यास उत्तेजक तथा वयेलेपन इत्रेमन्शिम कहते हैं।
है । तैल स्नेहकारक है। वानस्पतिक-विवरण-राल बृहत्, शुष्क,
गुणधर्म तथा उपयोग-ऐन्स्ली के मताज़रदीमायल श्वेतवर्ण के समूहों में पाया जाता
नुसार इसका गोंद बालसम आफ कोपाइबा के है । उत्ताप पहुँचाने पर यह शीघ्र मा हो जाता
समान गुणधर्म युक्त है। शिथिल ( व्यथा रहित) है और तब उसकी गंध एलेमीवत् ( मन्शिम
व्रणों में इसे प्रलेप रूप से प्रयोग में लाते हैं । वत् ) होती है।
इसकी गिरी द्वारा प्राप्त तैल वाताद-तैल की
प्रतिनिधि है । ई० मे० प्लां। ___ फल से इंच लम्बा, अंडाकार, त्रिकोणयुक्र, सिरे की ओर नुकीला ( तीक्ष्णान), चिकना,
डॉक्टर वैट्ज़ (Waivz ) लिखते हैं कि किञ्चित् फीके बैंगनी पतले मूदादार वाह्यत्वक्युक;
इसकी गिरी द्वारा निर्मित इमल्शन वाताद मिश्रण गुठली अत्यन्त कठोर, त्रिकोणीय, अस्फुटनीय
(Mistura. amygdalle ) की उत्तम (Indehiscent), अन्य दो के पतन होने के
प्रतिनिधि है तथा वह इसके कोष्ठमृदुकारक गुण कारण एककोषीय होती है। श्रामण्ड ( वाताद
के कारण इसे बाताद मिश्रण से उत्तम ख़याल गिरी) का बहिरावरण झिल्लीमय होता है, जिसके
करते हैं। भीतर तीन खण्डों में विभाजित और परस्पर लिपटे गिबर्ट ( Guibourt ) एलेमी गंधयुक तथा बल खाए हुए तैलीय दौल होते हैं। न्युगीनिया रेज़िन (Ner Guinea Resin.) गिरी से ४० प्रतिशत अर्द्ध ठोस, ग्राह्य एवं मधुर- के अन्तर्गत उन रालका वर्णन करते हैं स्वादमय वसा प्राप्त होती है जो बहुत काल ___यह राल ( Manilla elemi) जो उप.. पर्यन्त दुर्गन्धरहित बनी रहती है। (बॅट). युक्र वृक्षसे प्राप्त होता है, प्रधानतः वार्निश बनाने
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