________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अम्सानिया
अम्हर्टिया नोबिलिस
द्वारा उक्त सत्व लोबानाम्ल ( Benzoic- समय के समीप या उससे प्रथम, जबकि तापक्रम acid ), मॉनोमीथिलअमीन ( Monome- घटने लगा हो, मूत्रस्राव होते देखा गया। इससे thylamine) और चुक्रिकाम्ल अर्थात् काष्ठाग्ल पाचन एवं प्रान्त्रिक क्रिया भी बढ़ती हुई देखी (Oxalic acid ) में विश्लेषित हो गई। पुरातन रोगियों में एफीदा का प्रभाव कम जाता है । एफीड्रीन (घुलन विन्दु वा द्रवणाङ्क प्रदर्शित होता है। श्रामवात संबन्धी गृध्रसी तथा ३०° शतांश ) को उत्ताप पहुँचाने पर प्राइसो- अस्थिसोषुम्नकांड प्रदाह के दो रोगियों में तो एफीदीन Isoephedrine (द्रवणांक ११४ ° मुश्किल से कोई प्रभाव उत्पन्न हुआ । परन्तु, यहाँ शतांश) प्राप्त होता है । डॉ० एन० नेगी । पर यह विचारणीय बात है कि उक्त दोनों
ए. वल्गेरिस की टहनियों में ३ प्रतिशत अवस्थानों में ऐण्टिपाइरिन, सैलिसिलेट ऑफ कषायिन होता है। मिस्टर जे० जी० प्रेब्ल
सोडा, ऐरिटफेबीन तथा सेलोल इत्यादि औषधे (1८८८).
भी लाभ प्रदान करने में असफल रहीं । प्रयोगांश-जड़ और शुष्क शाखाएं।
डॉ. बीक्टीन द्वारा निर्मित काथ की मात्रा
यह है :-ौषध ३८५ प्राम और जल १८० औषध-निर्माण-जड़ का क्वाथ (४० में 1)
ग्राम । मात्रा-प्राधा से १ पाउंस ।
डॉ० कोबर्ट बतलाते हैं कि एफीडीन ०.२० प्रभाव तथा उपयोग-यह परिवर्तक (रसायन), प्राम की मात्रा में कुक्कुर एवं बिल्ली की शिरा मूग्रल, प्रामाशग बलप्रद और बल्य है (इंमे० में अन्तःक्षेप द्वारा प्रविष्ट किया गया और इससे मे० ) । सर्व प्रथम डाँ० एन० नेगी (टोकियो) ने तीबू उरोजना, साांगिक आक्षेप, वाह्यचन्तु शोथ इस बात की ओर ध्यान आकृष्ट की, कि ए. वल्गे- तथा नेत्रकनीनिकाप्रसार उत्पन्न होते देखा रिस में एफीडीन नामक एक क्षारीय सत्व होता
गया । है, जिसमें नेत्रकनीनिका-प्रसारक गुण है,
श्रम्सुल amsul-पश्चिम घाट. कोकम. भिरण्ड। तथा ऐट्रोपीन (धन्तूरीन) के स्थान में इसका
Mangosteen ( Garcinia xanthउपयोग किया जा सकता है। डॉक्टर टी०वी०
oxymus, Hoor.) फा० ई० १ भा० । बीटीन ने ध्यान दिलाया कि एक वल्गेरिस |
देखो-दम्पिल । की जड़ तथा प्रकाण्ड द्वारा निर्मित क्वाथ रूस देशमें श्रामवात, गठिया एवं उपदंश रोग की और
अम्सेल amsel-गों. कोकम, भिरण्ड-हिं० । इसके फल का स्वरस श्वासपथ सम्बन्धी रोगों की
See-Kokam. प्रख्यात औषध है।
अम्सेल रताम्बिसाल amsel-1ratāmbisal उग्र तथा पुरातन श्रामवात (Rheuinati- -गों० कोकम की छाल (Garcinia pursm ) के अनेक रोगियों को उन क्वाथ puria, bark of-) ई० मे० मे० । फा० का स्वयं व्यवहार कराने के पश्चात् अन्ततः वे इं०१ भा०। इस परिणाम पर पहुँचे कि उक्र पौधा पेशी एवं
अम्हक am haq-अ. शुद्ध श्वेत बिना चमक संधि सम्बन्धी उग्र रोगों की प्रधान अमूल्य के जैसे चूने का रंग, गोराचिट्टा ।
औषध है । इससे व्यथा कम हो जाती है; नाड़ी | श्रम्हदन्दी amha-dandi-पं० श्रोड, चूची-पं०। मन्द तथा कोमल और श्वासोच्छवास सरल | मेमो०। हो जाता है।५-६ दिनमें तापक्रम स्वस्थ दशा की |
ETERIÜTT 19. amherstia noble ) तरह हो जाता और संधिशोथ लुप्तप्राय हो जाता |
AFERST Fifafara amherstia nobiहै। और लगभग १२ दिवस के बाद रोगी ___lis, Dr. Wall. रोग मत हो जाता है। कतिपय रोगियों में उस ई०, ले० थौका | इं० हैं. गा० ।
For Private and Personal Use Only