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अकासुलमलिक
अकर्णः मयुक वर्ग
पौधा वा माड़ी जो पंजाब, सिंध और अफगा. (N. (). Sepolucer.)
निस्तान प्रादि देशों में होती है। पुनीर के बीज उत्पत्ति स्थान-पश्चिमी द्वीप तथा भारत वर्ष के -हिं० । कञ्ची-पं०। प्रालिश-युor it haria अनेक भागों में इसको लगाते हैं।
(Puneeria) Coagulans. ई० मे० इतिहास व प्रयोगादि-पश्चिमी किनारों तथा मे० ० इं० २ भा० । स० फा० इं० ।' बंगाल में फल के लिए इसके वृक्ष लगाए जाते अकरोतस-मातस amritas-matas-यु० गुलेहैं और फन बाजारों में विक्रय हेतु लाए जाने ! ऊलीकुल कुद्स। हैं। भारतवर्ष के अन्य प्रान्तों में यह कम अकरुजत aakarlim..ait-अ० तेल या जैतून होता है। पश्चिमी द्वीप एवं अमरीका में इसकी
तैल की तलछट । सेडिमेण्ट (Sediment)छाल बल्य तथा चरन प्रभाव के लिए प्रयोग में लाई जाती है। इसका बीज तीन रत्ती की
अकरूट akut-बं० अखरोट Malnut(Jugनात्रा ( अधिक परिमाण में यह विषैला प्रभाव
lans regia, Linn.) उत्पन्न करता है ) में मूत्रल है। भारतीयों में
श्रकरुलबहरakul-bahar-अ० मोथा के इसके फल की बहुत प्रसिद्धि है। उनका कथन है
.. सदृश एक जड़ है जिसको लैफूलब हर भी
. कहते हैं। कि यदि इसके फल को पिघले हुए मक्खन में रात्रिभर गिो रक्खा जाय और प्रातःकाल
अकरूस aqrus-यु० अकसूस, मवेज़ज अस्ली सेवन किया जाय तो यह पित्त एवं ज्वर संबन्धी
के नाम से प्रसिद्ध है।
अकोट akot-३० अाक्रमणों से सुरक्षित रखता है। (डाइमाक)
अखरोट Jug. वानस्पतिक वर्णन-इसको त्वचा रक्रवर्ण की
Arie akarottii-710 i lans regia, होती है। ऊपरी भाग धृमर वर्ण का होता है ।
Linn. ( walnut) स्वाद -निक और अत्यन्त कसेला ।
अकरोफ़ल aka rofas-य० हौज़ रूमी । फल-बाहरसे खरदरा और अंडाकार भीतर से
अकगः aaroh- पु० अखगेट पीतामायुक्र श्वेत, नर्म और गृदादार-और पकने
(Juglans regia, Linn. ) पर इसका स्वाद सेव के समान होता है । बीज
अकरोहक akalohak-फा अञ्जरूत (Asकाले रंगके चमकीले अंडाकार और लम्बे होते हैं।
tragalus Sarcocolla, Dymock.)
फा० इ०। रसायनिक संगठन-(१)दो रेजिन (Risins)
| अकरीट akaloint-हिं जिनमें से एक ईथर में घुल जाता है, (२)कया
अखरोट,अक्षोट यीन (Tanmin.) १३ प्रतिशत, और
| अकरीट akaroutu-ते. | Walnut
अकरोड akarond-मह० (३) एक ज्ञारीय सन्त्र सैपोटीन(Sa potine)
।। }(Juglans
| regia,
अकरौडुakaroudu-कना० ) जो ईथर, मद्यसार और सम्मोहिनी (Chloro
Linn.) form) में बुल जाता है; तथा एमोनिया द्वारा
अकर्कर: akarkaah । सं० पु० अकरकरा अपने लवणों से भिन्न होकर तलस्थायी हो जाता
अकलकरः akalkarah ) ( Pyrethrum है । ई० मे० प्ला०; फा० इं० २ भा० ।
___Radix ) गुणधर्म-उष्णवीर्य, बलकारक और
- कटु तथा प्रतिश्याय शोथ और बात नाशक है। अकरा सुलमलिक flasul-malik-अ० एक
हिन्दी बूटी का नाम है। कोई कोई जैनफल को वै० निघ०। कहते हैं।
अकर्णः akarnah-सं० त्रि० (3) Devoid अकरा Akali-हिं०, (१) Dumal (seeds of ears, deaf बहरा, बूचा, बधिर-हिं० । .. of-) अँकरी । (२) एक असगंध की जाति का हे०च०। (२ ) कान रहित (Destitute of
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